India News (इंडिया न्यूज), Lucknow: पश्चिमी यूपी के कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की राजधानी लखनऊ के कोर्ट परिसर में अज्ञात बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी. बताया जा रहा है कि इस गोली बारी में एक बच्ची को भी चोट आई है. पश्चिमी यूपी का कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद था। मिली जानकारी के अनुसार जो बदमाश आए थे वो वकील की ड्रेस में थे। इस हत्याकांड के आरोपियों को धरने के लिए पुलिस जांच में लग गई है. बताया जा रहा है कि 90 के दशक में संजीव माहेश्वरी ने अपना खौफ पैदा शुरू किया, फिर धीरे-धीरे वह पुलिस व आम जनता के लिए सिर दर्द बनता चला गया।
बताया जाता है कि शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर के नौकरी करता था। कहा जाता है कि अपनी नौकरी के दौरान उसने अपने मालिक यानी कि दवाखाना संचालक को ही अगवा कर लिया था. इस घटना के बाद के कुख्यात अपराधी ने कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती दो करोड़ की मांगी थी। 90 के दशक में इतनी बड़ी फिरौती की मांग अपने आप में बड़ी बात होती है.
#WATCH | Outside visuals from Uttar Pradesh's Lucknow Civil Court where gangster Sanjeev Jeeva was shot by unknown miscreants a while ago. pic.twitter.com/LH9pSLyh4l
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 7, 2023
कुख्यात अपराधी जीवा की बात करें तो उसका नाम नाम 10 फरवरी 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रम्ह दत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया। जिसमें बाद में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। फिर जीवा थोड़े दिनों बाद मुन्ना बजरंगी गैंग में घुस गया और इसी क्रम में उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ। कहते हैं कि मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने के तिकड़मी नेटवर्क था। इसी कारण उसे अंसारी का वरदहस्त भी प्राप्त हुआ और फिर संजीव जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया।
जीवा को कोर्ट ने 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया था। पुलिस में रिकार्ड मामलों की बात करें तो उसके उपर 22 से ज्यादा मामले दर्ज थे. वहीं इन 22 मामलों में से 17 मामलों में वो बरी हो चुका है. लेकिन उसके गैंग के 35 से ज्यादा सदस्य अभी भी जेल में बंद है. जीवा खुद भी लखनऊ की जेल में बंद था. हाल ही में उसकी संपत्ति भी प्रशासन द्वारा कुर्क की गई थी।
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