Lucknow News: अखिलेश यादव जल्द ही अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाने की घोषणा कर सकते है। आपको बता दे, सपा पार्टी के मुखिया और अध्यक्ष अखिलेश यादव के तरफ से उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ आंदोलन को तेज करने की जिम्मेदारी शिवपाल सिंह यादव को दी जाएगी। इसके साथ ही शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव को भी पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलनी तय मानी जा रही है।
सोमवार के दिन इस मुद्दों को लेकर अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच बैठक हुआ। अति पिछड़ों एवं दलितों को साथ लेकर संगठन को बढ़ाने पर भी दोनों ने सहमति जताई है। मैनपुरी लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सपा-प्रसपा अलग हो गए। कुछ दिन पहले अखिलेश ने कहा था कि शुभ दिन आने के बाद संगठन का विस्तार करेंग।
आखिरकार सोमवार को वह शुभ दिनआ ही गया। विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार प्रदेश की राजधानी में अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल के घर पहुंचे। दोनों के बिच करीब 45 मिनट तक सियासी मंथन हुआ।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिवपाल व आदित्य के साथ साथ उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले नेताओं को भी अनुरूप करने पर सहमति बानी। इस बैठक के बाद राष्ट्रीय एवं प्रदेश कार्यकारिणी में कुछ नए चेहरों को जिम्मेदारी मिल सकती है।
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पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि शिवपाल के नेतृत्व में जिलेवार आंदोलन शुरू हो सकता है। क्योंकि सपा निकाय चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव में भी अच्छा काम करना चाहती है। इस लिहाज से शिवपाल का मैदान में उतरना बहुत जरूरी बताया जा रहा है। आपको बता दे, बीते सप्ताह शिवपाल ने कहा था कि अखिलेश मेरा भतीजा हैं।
इससे पहले अखिलेश यादव लखनऊ में शिवपाल के आवास पर 21 दिसंबर 2021 को गए थे। दोनों के बीच बातचीत होने के बाद शिवपाल ने समर्थन का एलान कर दिया था। शिवपाल ने अखिलेश यादव को 50 उम्मीदवारों की एक सूची दी।
लेकिन टिकट सिर्फ शिवपाल यादव को ही दिया गया। चुनाव होने के बाद विधायक दल की बैठक बुलाए गए, लेकिन उसमे शिवपाल यादव को नहीं बुलाया गया। जिसके बाद शिवपाल ने नाराज होकर सपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। जबकि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद शिवपाल-अखिलेश के साथ-साथ खड़े रहे।
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के दौरान अखिलेश पत्नी डिंपल के साथ चाचा के घर पहुंचे और उन्हें मना लिया। डिंपल यादव ने इस चुनाव को भारी वोट से जीता चुनाव जीतने के बाद शिवपाल ने अपनी गाड़ी से प्रसपा का झंडा उतारकर सपा का झंडा
लगा लिया।