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इंडिया न्यूज, मैनपुरी (Uttar Pradesh) । मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। यहां हर पल सियासत बदल रही है। सुभासपा समेत कई प्रत्याशियों का पर्चा रद्द होने के बाद यहां चुनावी चाणक्यों का गणित गड़बड़ हो गया है। यहां कश्यप वोट बैंक पूरे चुनाव को प्रभावित कर सकता है। शायद यही वजह है कि ओमप्रकाश राजभर कह रहे हैं कि शिवपाल यादव के समर्थन के बावजूद सपा मैनपुरी में हार जाएगी।
मैनपुरी उप चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा प्रत्याशी रघुराज शाक्य और सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के बीच है। मैनपुरी सपा का गढ़ है, लेकिन भाजपा ये सीट हर कीमत पर जीतना चाहती है।
13 प्रत्याशियों ने कराए थे नामांकन, 7 का पर्चा खारिज
उप चुनाव के लिए कुल 13 नामांकन हुए थे, इसमें से सात नामांकन पत्र निरस्त हो गए हैं। इसमें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रत्याशी रामाकांत कश्यप का नामांकन निरस्त होना अहम है। दरअसल मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में 70 हजार वोट कश्यप समाज का है। कहीं न कहीं रमाकांत कश्यप को ये कश्यप समाज वोट करता, लेकिन अब उनके पास ये विकल्प नहीं बचा है। मजबूरन उन्हें अब मुख्य दलों में से एक को ही चुनना होगा। ऐसे में कश्यप वोट जिस प्रत्याशी को मिलेगा, उसकी जीत आसान हो जाएगी।
वहीं बसपा ने इस बार प्रत्याशी नहीं उतारा है। ऐसे में सवा लाख के करीब जाटव वोट भी विकेंद्रित हो गया है। इसे ही देखते हुए वोटर्स पार्टी इंटनरनेशल ने उर्मिला देवी को प्रत्याशी बनाया था। जाटव जाति से आने के चलते उर्मिला देवी भी जाटव वोट को प्रभावित करतीं। लेकिन उनका नामांकन निरस्त होने से फिर जाटव वोट फिर दिशाहीन हो गया है।
लोकसभा उप चुनाव के लिए सर्व समाज जनता पार्टी की ओर से करहल विधानसभा क्षेत्र के निवासी सुनील मिश्रा ने नामांकन दाखिल किया था। इससे छोटे पैमाने पर ही सही, लेकिन ब्राह्मण वोट प्रभावित जरूर होता। शुक्रवार को जांच में उनका नामांकन पत्र निरस्त कर दिया गया। पूर्व में हुए विधानसभा चुनाव 2022 में भी सुनील मिश्रा ने करहल विधानसभा क्षेत्र से अखिलेश के सामने नामांकन दाखिल किया था, जो निरस्त हो गया था।
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