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Maneka Gandhi: गांधी परिवार की वो बहू जिन्होंने अपनी अलग ही पहचान बुनी

• LAST UPDATED : June 4, 2024

India News UP (इंडिया न्यूज UP),Maneka Gandhi: सैंतालीस साल पहले संजय गांधी ने अमेठी की उभरती बंजर जमीन पर सियासत की नींव रखी थी। उस वक्त उनकी मां इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। नसबंदी की आंधी सत्ता परिवर्तन की आंधी थी, जिसमें इंदिरा गांधी रायबरेली से और संजय गांधी अमेठी से चुनाव हार गए। तब से अमेठी और रायबरेली सबसे हॉट सीटें बन गईं। सैंतालीस साल से अमेठी और रायबरेली अखबारों के पन्नों की लिस्ट में छाए रहे हैं।

नसबंदी की आंधी में कांग्रेस का सफाया

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी अपना पहला चुनाव 1977 में जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह से हार गए थे। इंदिरा गांधी की नसबंदी की आंधी में कांग्रेस का सफाया हो गया था। चुनाव हारने के बाद भी संजय गांधी अमेठी में प्रचार करते रहे। चुनाव में हारने के बाद भी संजय गांधी अमेठी में डटे रहे थे। अपनी कड़ी मेहनत के कारण 1980 के चुनाव में संजय गांधी अमेठी के सांसद बन गए। लेकिन एक वर्ष बाद विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई।

जेठ को अमेठी से हराने के लिए मेनका गांधी का संकल्प

उस दुर्घटना के बाद राजीव गांधी को पायलट की नौकरी छोड़नी पड़ी और अमेठी से चुनाव लड़ना पड़ा। उन्होंने सीट जीती। अमेठी में 1984 के लोकसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए पूर्व बीजेपी प्रवक्ता गोविंद सिंह चौहान ने कहा कि संजय गांधी की मौत के बाद मेनका गांधी उनकी राजनीतिक विरासत संभालना चाहती थीं। लेकिन इंदिरा गांधी को यह मंजूर नहीं था। इसलिए संजय गांधी की विरासत राजीव गांधी को सौंप दी गई।

मेनका गांधी ने इसे स्वीकार नहीं किया। यही वजह थी कि 1984 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी ने अपने देवर राजीव गांधी के खिलाफ संजय विचार मंच से चुनाव लड़ा। चौहान ने कहा कि संजय गांधी मेनका गांधी के प्रति सहानुभूति रखते थे।

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मेनका गांधी के अधिकांश बूथ एजेंटों के साथ हाथापाई

सुल्तानपुर के अतिरिक्त विधायक रविंद्र नाथ तिवारी रामगढ़ बूथ पर खुद वोट डाल रहे थे। यह देख मेनका गांधी ने उन्हें थप्पड़ मार दिया। इसके बाद रामगढ़ के लोगों ने मेनका गांधी को धक्का दिया और उनके कपड़े भी फाड़ दिए। घटना के बाद मेनका गांधी मतदान छोड़कर सीधे लखनऊ पहुंचीं और प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उनके ज्यादातर बूथों पर मारपीट हुई।

मेनका गांधी को मिले खूब वोट 

मेनका गांधी कोई प्रेजेंटेशन नहीं दे सकीं। तब भी बीजेपी मेनका गांधी के साथ थी। चौहान ने बताया कि जब मेनका गांधी ने साइकिल पर प्रचार किया तो खूब वोट पड़े। जब साइकिल का बैलेट पेपर निचले पंजों के बीच ठूंस दिया गया तो खबर कांग्रेस तक पहुंच गई। तब सुल्तानपुर के कलेक्टर गोपाल दास मल्होत्रा ​​और कैप्टन बीएन राय थे।

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