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इंडिया न्यूज यूपी/यूके,कानपुर:पापुआ न्यू गिनी में देश की मर्चेंट नेवी के 16 अफसरों को बंधक बना लिया गया है, वहीं 11 सदस्यों को जहाज में ही नजरबंद कर दिया गया है। टीम में 16 भारतीय, छह श्रीलंका और पोलैंड व फिलीपींस के एक-एक व दो अन्य मर्चेंट नेवी अफसर शामिल हैं पश्चिमी अफ्रीका के गिनी देश में भारतीय मर्चेंट नेवी का एक शिप 3 महीनें से वहां फंसा है। उन पर कच्चे तेल की चोरी का आरोप है। शिप के क्रू में 26 सदस्य मौजूद हैं,जिसमें 16 भारतीय हैं। कानपुर के निवासी रोशन अरोड़ा भी हैं। शनिवार को रोशन ने खुद परिजनों को फोन करके इसकी जानकारी दी ।
गोविंदनगर लेबर कालोनी निवासी मनोज कुमार अरोड़ा के बेटे रोशन ने मर्चेंट नेवी में कार्यरत हैं। इस समय में वह नार्वे की नामी शिपिंग कंपनी हिरोइन इडुन में असिस्टेंट ऑफिसर हैं। पांच अगस्त को कंपनी के जहाज से रोशन समेत 26 क्रू मेंबर कच्चा तेल लेने नाइजीरिया गए थे। वहां पर माल लोड करने की तारीख 3 दिन बाद की मिली थी। उच्चाधिकारियों ने शिप वापस लाने को कहा। रोशन ने अपनी बहन को बताया कि जब उनका शिप लौट रहा था तो रास्ते में गिनी देश की मर्चेंट नेवी के अफसरों ने उनको रोक लिया।
15 अफसरों को मालाबो में कैद कर रखा है और 11 को जहाज में ही नजरबंद कर दिया है। तब से वह सभी वहां फंसे हुए हैं। मनोज अरोड़ा ने बताया कि बेटे ने फोन और वीडियो भेजकर जो कहानी बताई है, उसके मुताबिक आठ अगस्त की रात जहाज को एक स्टीमर ने घेर लिया और नाइजीरिया नेवी बताकर तलाशी लेने को कहा। उस क्षेत्र में समुद्री लुटेरों का भी दबदबा है। परिचय पूछने पर जब कोई सही जवाब नहीं मिला तो शिपिंग कंपनी को जानकारी दी गई। उन्होंने नाइजीरिया के अधिकारियों से बात की तो भी कुछ साफ नहीं हुआ कि वह कौन हैं।
रोशन ने दावा किया कि जुर्माना भरने के बावजूद किसी को नहीं छोड़ा गया। कंपनी की तरफ से कोई भी जानकारी नहीं दी गई। बहन कोमल ने बताया कि तीन महीने से सभी लोग कैद हैं। रोशन ने शनिवार को फोन कर खुद ही बताया। जब रोशन को वहां से निकलना नामुमकिन लगने लगा, क्योंकि उन्होंने यह सुन लिया था कि गिनी की नेवी इन सभी को नाइजीरियन नेवी के हवाले करने वाली है।
जुर्माना भरने के बाद भी नहीं छोड़ा, परिजन अब सरकार मदद की गुहार लगा रहे हैं। व्हाट्सएप कॉलिंग व चैट के जरिये सभी अपने परिवारवालों व शिप कंपनी के अधिकारियों के संपर्क में हैं। कंपनी ने रोशन को बताया था कि गिनी देश ने जुर्माना लगाया था,जिसे एक हफ्ते में ही भर दिया गया था। इसके बावजूद भी गिनी नेवी अब इन लोगों को छोड़ने के बजाय नाइजीरियन नेवी के हवाले क्यों करने जा रही है, यह समझ नहीं आ रहा है।