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Mulayam Singh Yadav: नेताजी को पसंद थी मक्के की रोटी और चने का साग, हवाई चप्पल वाले दोस्त को बना दिया था मंत्री

• LAST UPDATED : October 11, 2022

Mulayam Singh Yadav

इंडिया न्यूज, सैफई (Uttar Pradesh) । मुलायम सिंह यादव को मैन ऑफ कमिटमेंट कहा जाता है। मुलायम अपने विरोधियों पर जितना भारी पड़े। समर्थकों और अपनों के लिए उतने ही मददगार रहे, सियासी गलियारों में भी लोग मुलायम का खूब सम्मान करते रहे। मुलायम को एक बात पर हमेशा गुस्सा आ जाया करता था। अगर कोई अपना तकलीफ में हो और मुलायम को इस बारे में ना बताया जाए तो नेता जी नाराज होते थे। यूपी के कई जिलों में ऐसे नेता हैं, जिनका मुलायम ने हमेशा साथ दिया। वादा कर दिया तो कर दिया।

सिर्फ जिलों तक ही नहीं बल्कि ब्लाक स्तर पर हर जिले में दर्जनों प्रधानों और बीडीसी को मुलायम सिंह ने नाम गांव के नाम के साथ पहचानते और जानते थे। सड़क चलते हुए अचानक भीड़ में से किसी को बुला लेना, रैली में नारा लगाते हुए कार्यकर्ता को नाम लेकर चुप कराना। बिना किसी शोर के लोगों की मदद करना। ये मुलायम की वो खूबियां थी जो उन्हें बाकी नेताओं से अलग करती हैं।

नेता जी को मक्के की रोटी और चने का साग खूब भाता रहा। वो देसी रहे और खाने पीने में भी सादगी पसंद रही। फिरोजाबाद के इटोली गांव से भी मुलायम का नाता रहा। क्योंकि मुलायम सिंह के बाबा यहीं रहते थे। बाद में वो सैफई जाकर रहने लगे। मुलायम सिंह की सियासत को जिन लोगों ने करीब से देखा है वो जानते हैं कि मुलायम सिंह को सादगी पसंद रही।

ठंड में हवाई चप्पल पहनकर पहुंचा तो भावुक हो गए थे मुलायम

मुलायम सिंह के साथ पढ़े विश्राम सिंह यादव बताते हैं कि उन्होंने और नेताजी मुलायम सिंह यादव ने साथ में पढ़ाई की थी। जब ग्रेजुएशन कर रहे थे, तभी नेताजी सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहने लगे थे। इसके बाद हमने करहल में साथ में नौकरी भी की। इसके बाद नेताजी सक्रिय राजनीति में उतर गए और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। नेताजी आगे बढ़ते चले गए, लेकिन उन्होंने कभी अपने पुराने साथियों को नहीं भुलाया।

एक बार कड़ाके की सर्दियों में मैं मुलायम सिंह यादव से मिलने लखनऊ पहुंच गया। ठंड में मैं हवाई चप्पल पहन पहुंचा, तो वह भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि विश्राम इतनी ठंड में तुम हवाई चप्पल पहन कर पहुंचे हो। मैंने कहा कि तुमसे मिलना था, इसलिए आ गया। वह भी हंसी में टाल गए।

इसके बाद उन्होंने मुझे अपनी सरकार में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री बनाया। हम लोग हमेशा दोस्तों की ही तरह रहे। हंसी-ठिठोली भी कर लिया करते थे। इसी होली पर मैं इटावा में उनकी कोठी पर उनसे मिलने पहुंचा था। उन्होंने मेरा हालचाल लिया। बोले कि तुम बहुत कमजोर हो गए हो। मैंने कहा कि उम्र दोनों की ढल रही है। आप भी कमजोर होते जा रहे हैं। उसके बाद से उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया।

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