इंडिया न्यूज, वाराणसी।
शासन ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तहत काशी विद्यापीठ के मनोविज्ञान विभाग में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तहत म्यूजिक थेरेपी सेल एंड रिसर्च सेंटर को अपनी मंजूरी दे दी है। म्यूजिक थेरेपी और शोध केंद्र के लिए पांच लाख 40 हजार का बजट भी पास किया है।
दरअसल, संगीत केवल मन को ही सुकून नहीं देता है यह तन और मन के रोगों को भी दूर करता है। इसमें हर राग का अपना अलग-अलग महत्व है। सुबह के समय राग भैरवी, दोपहर में तोड़ी और शाम को राग जय-जयवंती का अपना अलग ही प्रभाव है। संगीत के सप्तक से अब मन के अवसाद, तनाव, चिंता दूर होगी, वहीं असाध्य रोगों से रोगियों को राहत मिलेगी।
विद्यापीठ में मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. दुर्गेश कुमार उपाध्याय के प्रोजेक्ट के तहत एक्टिव म्यूजिक रूम और रिसेप्टिव म्यूजिक थेरेपी रूम का निर्माण किया जाएगा। डॉ. उपाध्याय ने बताया कि पहले चरण में विश्वविद्यालय के अध्यापक, छात्र व कर्मचारियों के लिए संगीत की थेरेपी शुरू की जाएगी।
पूरिया धनाश्री- अनिद्रा, मालकौंस- तनाव, शिवरंजनी- मन को सुखद अनुभूति, मोहिनी- आत्मविश्वास बढ़ाता है, भैरवी- ब्लड प्रेशर और तंत्रिका तंत्र पर नियंत्रण, पहाड़ी- स्नायु तंत्र को बेहतर, दरबारी कान्हड़ा- तनाव दूर, अहीरभैरव व तोड़ी- उच्च रक्तचाप, कान्हड़ा- अस्थमा, भैरवी- साइनस, तोड़ी- सिरदर्द व क्रोध।
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