India News UP (इंडिया न्यूज),Narad Rai: नारद राय, सपा के कद्दावर नेता, ने कहा कि उनके दुर्भाग्य यह भी हो सकता है कि संगठन के लोगों ने उनका नाम मंच पर उछाल तक नहीं किया। लोगों ने उन्हें महसूस होने ही नहीं दिया और मंच पर प्रवेश तक नहीं दिया। अखिलेश यादव बोलते हैं और उन्होंने उनका नाम बिल्कुल भी नहीं लिया। उनका नाम भी भूल जा रहा है। अब अखिलेश यादव के बिना उन्हें क्या करना चाहिए?
लोकसभा चुनाव के अंतिम दौर के मतदान से कुछ दिन पहले, समाजवादी पार्टी (सपा) को पूर्वांचल में बड़ा झटका पहुंचा है। उनके वरिष्ठ नेता नारद राय ने पार्टी छोड़ने और भाजपा में शामिल होने के संकेत दिए हैं। उन्होंने सोमवार रात ‘X’ पर एक पोस्ट के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सराहना की। नारद राय, जिन्हें सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के करीबी माना जाता है, ने अमित शाह के साथ अपनी मुलाकात की एक तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘X’ पर साझा की।
यह तस्वीर निकट भविष्य में संभावित दलबदल के संकेत को दर्शाती है। नारद राय के इस कदम के बारे में आजतक ने उनसे बातचीत की थी। उन्होंने कहा, ‘जब परिवार का घर छोड़ते हो या पार्टी छोड़ते हो तो तकलीफ होती है। और खास तौर पर उस पार्टी को छोड़ने में जहां मैंने 40 साल बिता दिए। छोटे लोहिया (जनेश्वर मिश्र) ने मुझे छात्र राजनीतिक से हटा कर मुख्य धारा की राजनीति से जुड़ा। उनके आशीर्वाद से मैंने एमएलए बनाया, मंत्री बना और जितना हुआ विकास भी किया। इलाहाबाद में जब जनेश्वर मिश्र नहीं रहे तब मुझे बहुत दुःख हुआ। तब नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने कहा, “नारद मैं जिन्दा हूं। मैं जब तक जिन्दा हूं, कभी भी जनेश्वर मिश्र की अभाव में खेलने नहीं दूंगा। हमारा बड़ा दुःख है कि अब वह भी नहीं हैं।
नारद राय ने उससे कहा, ‘आपको याद होगा कि इसी अंसारी परिवार को पार्टी में शामिल करने का विरोध करने पर बलराम यादव को सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। शिवपाल यादव को भी बर्खास्त कर दिया गया था। उस माफिया के मरने पर अखिलेश ने उसके घर भी जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने अंसारी परिवार के दखल के और उनके खिलाफ हमारा टिकट काट दिया। इससे मुझे अच्छा नहीं लगा। मैं अंसारी परिवार का दरबारी नहीं बनकर न राजनीति किया हूं और न करूंगा। मैं किसी का दरबारी नहीं बन सकता। मैं जनता का सेवक हूं और जनता के लिए संघर्ष करूंगा।