India News (इंडिया न्यूज), New Parliament Inauguration: नए संसद भवन को लेकर देश भर में हंगामा बरपा हुआ है। देश भर के तमाम दल इस ससंद भवन के उद्धाटन को लेकर अपने-अपने तरीके से अपनी बातों को रख रहें है। ऐसे में खबरें सामने आई है कि देश के 19 राजनीतिक दलों ने इस कार्यक्रम का समर्थन किया है। वहीं इसमें अब मायावती की पार्टी का भी नाम शामिल हो गया है।
मायावती ने इस बात की जानकारा ट्वीट कर के दी। मायावती ने कहा कि सरकार ने इसका निर्माण कराया है तो पहली जिम्मेदारी सरकार की है इसके उद्घाटन की। वहीं उन्होंने उन पार्टियों को नसीहत दी जो इस कार्यक्रम का विरोध कर रही हैं। मायावती ने खुद को इस कार्यक्रम में जाने को लेकर कहा कि वो इसे शामिल नहीं हो पाएंगी।
मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा कि “केन्द्र में पहले चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो या अब वर्तमान में बीजेपी की, बीएसपी ने देश व जनहित निहित मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है तथा 28 मई को संसद के नये भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए इसका स्वागत करती है।”
1. केन्द्र में पहले चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो या अब वर्तमान में बीजेपी की, बीएसपी ने देश व जनहित निहित मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है तथा 28 मई को संसद के नये भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए इसका स्वागत करती है।
— Mayawati (@Mayawati) May 25, 2023
उन्होंने आगे कहा कि “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा नए संसद का उद्घाटन नहीं कराए जाने को लेकर बहिष्कार अनुचित। सरकार ने इसको बनाया है इसलिए उसके उद्घाटन का उसे हक है। इसको आदिवासी महिला सम्मान से जोड़ना भी अनुचित। यह उन्हें निर्विरोध न चुनकर उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़ा करते वक्त सोचना चाहिए था।”
उन्होंने कहा कि “देश को समर्पित होने वाले कार्यक्रम अर्थात नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का निमंत्रण मुझे प्राप्त हुआ है, जिसके लिए आभार और मेरी शुभकामनायें। किन्तु पार्टी की लगातार जारी समीक्षा बैठकों सम्बंधी अपनी पूर्व निर्धारित व्यस्तता के कारण मैं उस समारोह में शामिल नहीं हो पाऊंगी।”
दरअसल मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने संसद भवन का उद्घाटन पीएम के करने पर सवाल खड़ा किया है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में एक ट्वीट करते हुए कहा था कि नए संसद भवन का उद्घाटन पीएम मोदी को नहीं बल्कि देश की राष्ट्रपति को करना चाहिए। जिसके बाद तमाम विपक्षी राजनीतिक दलों ने कांग्रेस की इस बात का समर्थन किया और इस बात की मांग की है।
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