Nirbhaya Case
इंडिया न्यूज, लखनऊ (Uttar Pradesh): आज ही के दिन दिल्ली की सड़क पर 10 साल पहले निर्भया कांड हुआ था। इस कांड ने पूरे देश को हिला करके रख दिया था। इस घटना के दोषियों को तीन साल पहले फांसी दी गई थी। निर्भया के गुनहगारों में अक्षय ठाकुर,मुकेश सिंह,विनय शर्मा और पवन गुप्ता सहित छह लोग शामिल थे। इसमें रामसिंह नामक एक आरोपी ने जेल में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
एक नाबालिग को सुधार गृह से रिहा कर दिया गया था। आरोपी बस्ती जिले का रहने वाला था। हालांकि वह नाबालिग कुछ ही महीनों बाद 18 साल का होने वाला था लेकिन कोर्ट ने मौजूदा कानून के आधार पर उसे नाबालिग मानते हुए सजा देने की बजाए सुधार गृह में भेजने का फैसला सुनाया था। निर्भया के दोषियों में से यही एक चेहरा है जिसे आज तक देश ने नहीं देखा है।
पवन के फांसी पर दो दिन पहले से गांव में पसरा था सन्नाटा
इन दोषियों में एक आरोपी पवन गुप्ता भी था। जो उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के जगन्नाथपुर गांव का रहने वाला था। फांसी के दो दिन पहले से ही इस गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था। पवन के रिश्तेदार जहां चुप्पी साधे हुए थे। ग्रामीण भी इसे विधि का विधान मान रहे थे। पवन का पूरा परिवार दिल्ली में रहता है। मगर उसके कुछ एक रिश्तेदार और पट्टीदार गांव में रहते हैं।
निर्भया कांड गांव के लिए काला दिन
गांव के जनार्दन गोस्वामी ने कहा कि निर्भया कांड की घटना हुए 10 साल हो गए हैं। लेकिन यह गांव आज भी उसका कलंक लेकर घूम रहा है। संजय कुमार ने कहा कि निर्भया कांड गांव के लिए काला दिन था। पवन को इसकी सजा जरूर मिली। लेकिन उसका यह पाप अभी भी गांव वाले भोग रहे हैं। संजय गोस्वामी फांसी वाले दिन को याद करके कहते हैं कि पवन को फांसी होने वाली थी। यह सूचना गांव में सबको मिल गई थी। उस दौरान पूरे गांव में मातम पसरा हुआ था। यहां लोग पवन को बचपन से जानते थे। जिस आरोप में उसे सजा-ए-मौत हुई है। वैसा उसका स्वभाव नहीं था। गांव के पुजारी दयानंद गोस्वामी ने कहा की विधि का विधान टाला नहीं जा सकता है। हालांकि पवन बचपन में बेहद सरल स्वभाव का था।
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