Lucknow
इंडिया न्यूज, लखनऊ (Uttar Pradesh): इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारी सरकारी पैसों से लुत्फ उठाने विदेश यात्रा पर चले गए हैं। उनके पास अदालत में शपथ पत्र के साथ जवाब देने का पर्याप्त समय था, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। अधिकारियों की यह प्रवृत्ति उचित नहीं है। सरकारी स्कूलों में शिक्षक और कर्मचारियों की नियुक्ति न करने संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह कड़ी टिप्पणी की। जवाब न दाखिल करने पर कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा व्यक्तिगत तौर पर पेश करें। अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी।
शिक्षकों की नियुक्तियां न करने के प्रकरण में जनहित याचिका
राज्य के स्कूलों में शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्तियां न करने के प्रकरण में राशिद अली की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें सरकारी स्कूलों में पर्याप्त संख्या में शिक्षक व कर्मचारी न होने का मामला उठाया गया है। याची की ओर से कहा गया है कि प्रदेश में तमाम सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी नहीं हैं। इससे स्कूल संचालित नहीं हो पा रहे हैं।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा 13 दिसंबर से 16 दिसंबर तक के लिए विदेश यात्रा पर प्रदेश में निवेश लाने के लिए रोड करने गए हैं। सरकार की ओर से उन्हें अनुमति दी गई। व्यक्तिगत पेशी से छूट देने का अनुरोध किया। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टतया यह अदालत के आदेशों को न मानने की प्रवृत्ति लगती है, जबकि अदालत में न्याय के लिए सहायता करना हर नागरिक का कर्तव्य है। इस पर कोई छूट नहीं दी जा सकती है।
यह भी पढ़ें: मुख्तार को सजा मेरी मुस्तैदी का ही नतीजा – अजय राय