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Omprakash Rajbhar : राजभर और बीजेपी के बीच की सीढ़ी बने परिवहन मंत्री, क्या बीजेपी में होंगे शामिल

• LAST UPDATED : June 16, 2023

India News (इंडिया न्यूज़) Omprakash Rajbhar लखनऊ : 2024 के लोक सभा चुनाव से पहले जोड़ – तोड़ की क़वायदें अभी से देखने को मिल रही है।

ओम प्रकाश राजभर के भाजपा के साथ होने के जहाँ एक के बाद एक संकेत मिल रहे है, वही राजभर अपने पुराने अन्दाज़ कभी हाँ कभी ना करते हुए नज़र आ रहे है।

बीजेपी ने मुझसे वोट माँगा

ओम प्रकाश राजभर को लेकर पहले भी कई क़यासे लगायी गयी थी। लेकिन चर्चा तेज़ तब और होने लगी जब उन्होंने सपा के ख़िलाफ़ अपने सुर तेज़ किए । साथ ही एमएलसी चुनाव में साफ़ कहा था की भाजपा वोट माँगने आयी और मैंने वोट दिया है।

उसके बाद से सूत्रों की माने तो भाजपा ने दयशंकर सिंह को लोकसभा चुनाव से पहले ओम प्रकाश राजभर को पार्टी में वापस लाने की ज़िम्मेदारी दी थी।

राजभर से मिले सीएम योगी

जिसको लेकर दोनो की मुलाक़ातों के कयी सिलसिले देखने को भी मिले थे। जिसको लेकर दोनो ने कभी औपचारिकता तो कभी व्यक्तिगत रिश्तों का हवाला दिया।

लेकिन ओम प्रकाश राजभर के बेटे की शादी से इन सारी बातों में और तेज़ी आयी। क्यूँकि भाजपा के कयी बड़े चेहरे शादी और फिर रिसेप्शन में शामिल हुए और बीती शाम मुख्यमंत्री जब काशी में मौजूद थे।

तब राजभर और मुख्यमंत्री की मुलाक़ात की बात सामने आयी। हालाँकि राजभर इस बात से इनकार कार करते नज़र आए ।

बीच की सीढ़ी बने परिवहन मंत्री

भाजपा और राजभर के बीच की सीढ़ी दयाशंकर सिंह का कहना है की उनके और राजभर के व्यक्तिगत रिश्ते है और भाजपा के साथ उनके गठबंधन का भाजपा और उनको भी फ़ायदा मिलेगा ।

बाक़ी दलो के साथ के समीकरणो की सम्भावनाओं को भी वो तलाश चुके है इस सवाल पर की उन्हें सम्भालना मुश्किल है पर दयशंकर सिंह ने कहा वो साफ़ दिल के इंसान है मैं जानता हूँ बाक़ी पार्टी आला कमान तय करेगी ।

ईडी और CBI से डर रहे राजभर – सपा

समाजवादी पार्टी का कहना है की आख़िर ऐसी कौन सी मजबूरी है। जो राजभर जी को ऐसा करना पड़ रहा है।

उन्होंने तो कोई भ्रष्टाचार भी नही किया है तो क्यू ईडी और CBI से डर के ये काम कर रहे है। राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी फ़ायदे और नुक़सान के आधार पर होती है।

सपा से हाथ मिलाने में फायदा नहीं

समीकरणो की बात करे तो ओम प्रकाश राजभर सपा के साथ हाँथ मिलाकर बहुत फ़ायदा महसूस नही किया। लिहाज़ा विकल्प के रूप में लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा उनकी पार्टी के लिये मुफ़ीद फ़ैसला होगा।

चाहे बात समीकरणों और वोट बैंक की भी की जाये। लेकिन देखना होगा की ये क़यासे हक़ीक़त में कब बदलती है।

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