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President of Indian Wrestling Association : बृजभूषण के करीबी बने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष, अनीता को दी शिकस्त

• LAST UPDATED : December 21, 2023

India News (इंडिया न्यूज़) President of Indian Wrestling Association : बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने जब से भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद छोड़ा था। उसके बाद से उस पद को लेकर लगातार कुछ न कुछ खबर आता ही रहता था। लेकिन आज इस पद को सँभालने के लिए नए उम्मीदवार ने चुनाव जीत लिया है। संजय सिंह बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी है।

कौन बना नया अध्यक्ष

बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष का चुनाव जीत लिया है। उन्होंने अपनी प्रतिद्वंदी अनिता श्योराण को हराया है। इससे पहले बृजभूषण शरण सिंह ने भी दावा किया था कि संजय सिंह कुश्ती संघ के अध्यक्ष बनेंगे।

आपको बता दें कि संजय सिंह ‘बबलू’ को कुश्ती का बहुत शौक है और वर्तमान में वह वाराणसी कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा वह कुश्ती संघ के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। इस दौरान वे कई बार संघ की कार्यसमिति में भी शामिल रहे। इसके अलावा उन्होंने भारतीय कुश्ती संघ का नेतृत्व करने के लिए विदेश दौरे भी किए हैं। कहा जाता है कि संजय सिंह बब्लू ने पूर्वांचल की महिला पहलवानों को आगे लाने में अहम भूमिका निभाई है।

वाराणसी कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं संजय 

संजय सिंह मूल रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के रहने वाले हैं। वर्तमान में वह अपने परिवार के साथ वाराणसी में रहते हैं। संजय सिंह बब्लू पिछले डेढ़ दशक से अधिक समय से कुश्ती संघ से जुड़े हुए हैं और बृजभूषण शरण सिंह के काफी करीबी माने जाते हैं। वह 2008 से वाराणसी कुश्ती संघ के जिला अध्यक्ष रहे हैं। संजय सिंह बब्लू 2009 में राज्य कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष चुने गए थे।

बृजभूषण शरण सिंह का विरोधी हैं अनिता 

अनिता श्योराण को बृजभूषण शरण सिंह का विरोधी माना जाता है। वह हरियाणा के भिवानी जिले की रहने वाली हैं। अनीता ने पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ भी गवाही दी थी। अनीता ने कुश्ती के क्षेत्र में भी बड़ी सफलता हासिल करते हुए 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता। अगर अनीता श्योराण यह चुनाव जीत जातीं तो वह पहली महिला पहलवान होतीं। दरअसल, WFI की जड़ें पुरुष अखाड़ों से जुड़ी हुई हैं, यही वजह है कि शीर्ष पदों पर पुरुषों का दबदबा रहा है।

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