इंडिया न्यूज, Uttar Pradesh News : चाचा और भतीजा के बीच खान। यह पहेली यूपी विधानसभा चुनाव के समापन के साथ ही न सिर्फ जटिल हो गई थी बल्कि अबूझ भी। इसे सुलझाने की कोशिश करने वाला हर व्यक्ति डिस्टर्ब। पता नहीं, आपको भी समझ में आया या नहीं। कोई बात नहीं। हम बताते हैं। दरअसल, समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान जेल से रिहा हो गए हैं। चूंकि आजम अपने नाम के अनुरूप ही सपा में खासा ताकतवर यानी शक्तिशाली रहे हैं। उधर, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच भी सियासी अदावत देखने को मिल रही है। जबकि आजम को दोनों लोग (चाचा-भतीजा) अपनी ओर खींचने की कोशिश में लगे हैं। शुक्रवार को सीतापुर जेल से आजम की रिहाई के बाद कुछ इसी तरह के हालात देखने को मिले। अब सवाल यह है कि खान चाचा और भतीजा के बीच आजम (शक्तिशाली) कहां दिखाएंगे। आगे समझने कोशिश करते हैं।
आजम खान के करीबियों ने अखिलेश यादव पर बुरे वक्त में साथ नहीं देने का आरोप लगाया। आजम खान के मीडिया प्रभारी ने योगी के उस बयान को भी ठीक बताया जिसमें उन्होंने कहा था कि अखिलेश यादव भी नहीं चाहते हैं कि आजम जेल से बाहर आएं। करीब ढाई साल से सीतापुर जेल में बंद आजम खान के करीबियों ने भले ही पहली बार इस तरह खुलकर नाराजगी जाहिर की, लेकिन उनका यह दर्द काफी पुराना है। दरअसल, 2017 में यूपी में योगी सरकार की शुरुआत के बाद से आजम खान के लिए जब बुरे दौर का आगाज हुआ तो अखिलेश यादव काफी हद तक इस मामले पर चुप्पी साधे रहे। आजम समर्थकों को लगता है कि अखिलेश ने आजम की गिरफ्तारी का उस तरह विरोध नहीं किया, जितनी अपेक्षा थी। वह अब तक केवल एक बार ही जेल में जाकर आजम से मिले हैं।
शिवपाल यादव ने 23 अप्रैल को सपा नेता आजम खान से मिलने के लिए जिला कारागार पहुंचे। दोनों नेताओं की जेल में हुई मुलाकात ने सियासी माहौल गर्म हो गया। राजनीतिक गलियारों में इसको लेकर हलचल भी तेज हो गई। जेल से निकलने के बाद शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी पर सवाल उठाए और खुद आजम खान के साथ नजर आए। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं न कहीं उनके दिल में इस बात की कसक है कि पार्टी ने अपने ही एक कद्दावर नेता को रिहा कराने के प्रयास क्यों नहीं किए। कारागार से बाहर निकलने पर समाजवादी पार्टी पर ही सवाल उठा दिए। शिवपाल ने कहा कि सपा के कद्दावर नेता और संस्थापक सदस्य आजम खान को रिहा कराने के लिए समाजवादी पार्टी संघर्ष नहीं कर रही है। यह दुख की बात है क्योंकि सपा की पहचान ही संघर्ष है।
शुक्रवार को रिहा होने के बाद शिवपाल यादव ने मीडिया से बात की। शिवपाल ने कहा कि न्याय की जीत हुई है, आजम खान साहब की जीत हुई है। लड़ाई में क्या वह आपके साथ आएंगे? जब पत्रकारों ने सवाल किया तो शिवपाल ने कहा कि हम लोग समाजवादी हैं और हमेशा नेताजी से हम लोगों ने सीखा है सुख और दुख में साथ रहना और कहीं पर भी सुख-दुख में अगर साथी संकट में हैं….। आजम भाई हमारे साथी रहे हैं और आज भी हैं। लंबे समय से यूपी के राजनीतिक गलियारों में आजम खान और अखिलेश यादव के बीच नाराजगी की खबरें तैर रही हैं। इस बीच, आजम खान दो साल से ज्यादा वक्त बिताने के बाद सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद अखिलश यादव ने ट्वीट कर जरूर आजम की रिहाई का स्वागत किया है। अपने ट्वीट में अखिलेश ने लिखा है कि सपा के वरिष्ठ नेता और विधायक आजम खान के जमानत पर रिहा होने पर उनका हार्दिक स्वागत है। जमानत के इस फैसले से सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय को नये मानक दिये हैं। पूरा ऐतबार है कि वो अन्य सभी झूठे मामलों-मुकदमों में बाइज्जत बरी होंगे। झूठ के लम्हे होते हैं, सदियां नहीं!
रिहाई के बाद अखिलेश और शिवपाल के बयान के मायने बेहद खास हैं। राजनीति के जानकार मानते हैं कि चाचा और भतीजा अलग-अलग यह चाहते हैं कि आजम खान उनके करीब रहें। उधर, आजम के समर्थकों का अंदाज कुछ और बयां कर रहा है। इस परिस्थिति में आजम खान भी धर्मसंकट में हैं। शायद उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा होगा कि क्या किया जाए। वैसे आजम खान के रूख पर ही निगाहें टिकी हुई हैं। देखते हैं क्या होता है।
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