India News (इंडिया न्यूज़), Ram Mandir: राम मंदिर के उद्घाटन में अब कुछ ही दिन मात्र बचे हैं और उद्घाटन को लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं। इसी बीच श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा है कि राम मंदिर शैव शाक्तों और अन्य संन्यासियों का नहीं। बल्कि रामानंद संप्रदाय का है।
एक इंटरव्यू में जब महासचिव चंपत राय से सवाल किया गया कि नए मंदिर में पूजा की विधि क्या होगी। तो इसके जवाब में चंपत राय ने कहा, ‘राम का मंदिर… रामानंद परंपरा… यही है। मंदिर रामानंद संप्रदाय का है…रामानंद…संन्यासियों का नहीं…शैव शाक्तों और संन्यासियों का नहीं…रामानंद।
राम मंदिर उद्घाटन की तैयारियों को लेकर चंपत राय ने कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का पूजन अनुष्ठान एक सप्ताह तक चलेगा। इसके लिए 16 जनवरी से कार्यक्रम शुरू होगा, पूजा कराने वाले ब्राह्मणों की टोली तैयार कर ली गयी है। इसके अलावा जहां पूजा की जाएगी वह जगह भी तैयार कर ली गई है। उन्होंने बताया कि ब्राह्मणों के रहने के स्थान से लेकर भोजन कौन बनायेगा और परोसेगा तक हर चीज की व्यवस्था कर ली गयी है।
चंपत राय ने बताया कि करीब 125 परंपरा के संत-महात्मा आएंगे और 13 अखाड़ों और सभी छह अखाड़ों के महापुरुष और धर्मगुरु आएंगे। इसके अलावा देश के विभिन्न क्षेत्रों… खेल, न्याय, वैज्ञानिक आदि क्षेत्रों से करीब 2,500 प्रमुख लोगों की सूची तैयार की गई है और निमंत्रण भी भेजा गया है. वह कहां रुकेंगे इसकी भी व्यवस्था कर ली गयी है।
अयोध्या में रामानंद संप्रदाय के अनुयायी रामलला की पूजा की जाती है। रामलला के श्रृंगार से लेकर उनके भोजन, स्नान, कपड़े और देखभाल तक सब कुछ किसी बच्चे की तरह ही किया जाता है। उन्हें हर दिन अलग-अलग रंग के कपड़े पहनाए जाते हैं। अयोध्या राम की जन्मस्थली है और यहां के सभी मंदिरों में इसी पद्धति का पालन किया जाता है।
कहा जाता है कि 14वीं शताब्दी में मुगल काल के आक्रमणकारियों के हमलों से हिंदू धर्म को बचाने के लिए एक अभियान चलाया गया था। यह अभियान स्वामी श्रीमद जगद्गुरु रामानंदाचार्य के धर्म प्रचार के माध्यम से चलाया गया था। तीन धार्मिक परंपराओं, वैष्णव, शैव और शाक्त में से, उन्होंने पूजा परंपरा की वैष्णव शैली का प्रचार करना चुना। इस शैली में भगवान श्री राम और माता सीता को उनके आराध्य के रूप में पूजा जाता है। यही तरीका अयोध्या में अपनाया गया है।
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