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Same Sex Marriage: जमीयत उलेमा हिंद का आरोप, समलैंगिक विवाह पारिवारिक व्यवस्था पर हमला, एससी में याचिका दायर

• LAST UPDATED : April 19, 2023

Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग संबंधी याचिकाओं का विरोध करते हुए मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (मौलाना महमूद मदनी) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। जमीयत ने कहा है कि समलैंगिक विवाह पारिवारिक व्यवस्था पर हमला है और ये सभी ‘पर्सनल लॉ’ का पूरी तरह से उल्लंघन है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, शीर्ष अदालत में लंबित याचिकाओं में हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए जमीयत ने हिंदू परंपराओं का भी हवाला दिया। जमीयत ने कहा कि हिंदुओं में शादी का मक़सद सिर्फ़ भौतिक सुख या संतानोत्पत्ति नहीं बल्कि आध्यात्मिक उन्नति है।

शादी एक संस्कार

जमीयत ने कहा कि शादी हिंदुओं के 16 ‘संस्कारों’ में से एक है और “समलैंगिक विवाह पारिवारिक व्यवस्था पर एक हमला है।” सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग वाली याचिकाओं को बीती 13 मार्च को पांच जजों वाली संविधान पीठ के पास भेज दिया था और कहा था कि ये मुद्दा ‘बुनियादी महत्व’ का है।

समलैंगिक विवाह कानूनी सही नहीं

जमीयत ने कहा, “समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं के ज़रिए समलैंगिक विवाह की अवधारणा पेश की है, जिससे विवाह की मूल अवधारणा कमज़ोर हो सकती है।” समलैंगिक विवाह को क़ानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं का केंद्र ने भी सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है। 6 सितंबर 2018 को एक ऐतिहासिक फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दो व्यस्कों के बीच सहमति से बनाए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था।

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