इंडिया न्यूज, लखनऊ:
ताजमहल में बंद पड़े 22 कमरों में क्या है। इस मामले की जांच कर सच को बाहर लाया जाना चाहिए। इस बात पर आज चर्चा शुरू हो गई है। कमरों की जांच की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। इस पर सुनवाई मंगलवार को होगी। इस बीच इतिहासकार इस मसले पर चर्चा में मशगूल हो गए हैं। प्रतिष्ठित इतिहासकार व साकेत महाविद्यालय के प्राध्यापक डा. महेंद्र पाठक सवाल उठाते हैं कि आखिर ताजमहल के 22 कमरों में ऐसा क्या है, जिसे वर्षों से छिपाए रखा गया है और यदि मुगल कला इतनी ही समृद्ध थी तो इरान या इराक में कोई ताजमहल या कुतुबमीनार क्यों नहीं है।
डा. महेंद्र पाठक कहते हैं कि ताजमहल भोलेनाथ का मंदिर है, जिसे तेजोमहालय के नाम से जाना जाता था, जिस पर मुगल आक्रांता कब्जा करके मकबरा बनाया। उनका कहना है कि मुगलों ने भारत में सांस्कृतिक आक्रामण किया था और अनेक मंदिरों को तोड़ा था।
डा. पाठक का कहना है कि इतिहासकार पीएन ओक की पुस्तक में जो तथ्य दिए गए हैं, सिर्फ उन्हीं की जांच हो जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि ताजमहल वास्तव में शंकर जी का मंदिर था। इतिहास संकलन समिति की अवध प्रांत की अध्यक्ष व मनूचा महाविद्यालय की प्राध्यापक डा. प्रज्ञा मिश्रा का कहती हैं कि आखिर जांच में हर्ज ही क्या है।
अयोध्या के भाजपा नेता डा. रजनीश सिंह ने ताजमहल के बंद 22 कमरों को खोलने की मांग करने को लेकर उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दायर की है, जिस पर मंगलवार को सुनवाई होनी है। इससे पहले अयोध्या के ही तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगदगुरु परमहंस आचार्य ताजमहल में शिवलिंग की स्थापना करने पर अड़े थे। उनका कहना है कि ताजमहल वास्तव में तेजो महालय नामक प्राचीन मंदिर है।
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