इंडिया न्यूज, कानपुर: The strange case of Kanpur : कानपुर से एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है। एक व्यक्ति की कोरोना से मौत हो गई। उस व्यक्ति की मौत को परिजनों ने स्वीकार नहीं किया और उसे देढ़ साल तक घर में रखे रहे। इस बात की जानकारी हुई तब पुलिस और मेडिकल टीम पहुंची। शव को एलएलआर अस्पताल भिजवाया गया।
इनकम टैक्स चौराहा कृष्णपुरी में रहने वाले आयकर विभाग के कर्मचारी विमलेश दीक्षित की मौत कोरोना काल में 22 अप्रैल 2021 को हुई थी। उस समय डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित करके डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया था। इसके बाद भी उनकी मौत को लेकर घर वालों को भरोसा नहीं हो रहा था और वह शव लेकर दूसरे अस्पताल गए थे। वहां भी डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। इस पर परिवार वाले उनका शव लेकर घर आ गए थे।
घर पर पत्नी को भी उनके जिंदा होने का विश्वास दिलाया गया था और परिवार वाले उनके शव पर रोजाना गंगाजल डालकर जिंदा होने का दावा करते रहे थे। शुक्रवार को डेढ़ साल से शव घर पर रखा होने की जानकारी लोगों को हुई तो सबके पांव तले से जमीन खिसक गई। सूचना पर पुलिस घर आई तो हंगामा खड़ा हो गया।
मृत शरीर का बुरा हाल हो गया था। मांस हड्डियों में ही सूख गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है की पत्नी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए उनसे पति के बीमार होने की जानकारी देकर स्वास्थ्य कर्मियों को बुलाकर शव को एलएलआर अस्पताल भिजवाया गया है।
सीएमओ डॉ. आलोक रंजन ने बताया कि आयकर विभाग के कर्मचारी हैं। मृत्यु प्रमाणित न होने की वजह से पारिवारिक पेंशन का निर्धारण नहीं हो पा रहा था। इसलिए आयकर विभाग ने सीएमओ से जांच कराकर रिपोर्ट देने का आग्रह किया था। उनके आग्रह पर सीएमओ ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। घरवाले विरोध कर रहे थे, इसलिए पुलिस बुलानी पड़ी। उनकी मृत्यु डेढ़ वर्ष पहले ही हो चुकी है। जांच कमेटी की रिपोर्ट शाम तक आएगी। उसके आधार पर आयकर विभाग को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
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