इंडिया न्यूज, सोनभद्र : The Youth of Bahuar Village of Sonbhadra had gone Missing यूपी के सोनभद्र (Sonbhadra) के बहुआर गांव के आदिवासी अमर सिंह गोंड के लिए पंजाब पुलिस के एएसआई सुखविंदर सिंह (Punjab Police ASI Sukhwinder Singh) बदेसा किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। 15 साल पहले उनका बेटा मुलायम लापता हो गया। काफी तलाश के बाद मां-पिता बेटे के घर लौटने की उम्मीद छोड़ चुके थे। वहीं, रविवार को वह सुखविंदर सिंह की पहल से सकुशल घर लौट आया है तो मां-पिता के फफक पड़े। लाल को गले से लगाकर उसके माथे को चूमा। साथ ही सुखविंदर सिंह का आभार जताकर ईश्वर का शुक्रिया अदा किया। इस भावुक पल को देखकर ग्रामीणों की आंख नम हो गई।
बहुआर के चरघरवा टोला निवासी अमर सिंह गोंड का बड़ा पुत्र मुलायम 15 साल पहले अचानक घर से लापता हो गया। वह किसी तरह पंजाब के अमृतसर पहुंचा। वहां ठेकेदार के माध्यम से वह दिहाड़ी मजदूरी करने लगा। उधर, बेटे के लापता होने के बाद अमर सिंह उसकी तलाश में जुटे रहे। हर संभावित स्थानों पर तलाश के बाद हर बार उन्हें निराशा हाथ लगी। आखिर में वह बेटे के घर लौटने की सारी उम्मीद खो चुके थे।
पंजाब से मुलायम को अपने साथ लेकर पहुंचे एएसआई सुखविंदर सिंह बदेसा ने बताया कि 10 फरवरी को मुलायम ठेकेदार के माध्यम से उनके अमृतसर घर पर काम करने आया। काम करते हुए मोबाइल पर वह सैड सांग सुनता था। सुखविंदर ने मुलायम से उसकी तकलीफ जानने की कोशिश की तो चौंकाने वाला मामला सामने आया।
मुलायम ने बताया कि उसके पिता का नाम अमर सिंह है। वह झारखंड, सोनभद्र तो बता रहा था लेकिन गांव का नाम भूल चुका था। उसे टोला चरघरवा का नाम याद था। इसी आधार पर सुखविंदर सिंह ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर कई लोगों से बात की। बेहतर रिस्पांस नहीं मिला, मगर वह हार नहीं माने।
सोशल मीडिया पर सोनभद्र मे चरघरवा की तलाश करते हुए पूर्वांचल नव निर्माण मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गिरीश पांडेय का नंबर निकाला और उनसे बात की और पूरा वाकया बताया। इसे गंभीरता से लेते हुए मंच के गिरीश ने मुलायम के घरवालों की तलाश शुरू की। इसमें वरिष्ठ पत्रकार विनय सिंह चंदेल की भूमिका भी सराहनीय रही।
अमौली के प्रधान सुरेश शुक्ला और बसौली के प्रधान अवधेश गुप्ता से बात करने पर जानकारी हुई कि बहुआर गांव में चरघरवा टोला है। फिर क्या था प्रधान सुरेश शुक्ला मुलायम के घर पहुंचे और मुलायम के गायब होने की पुष्टी की। वीडियो के आधार पर अपने परिजनों की पहचान मुलायम ने कर ली। इसके बाद सुखविंदर सिंह बदेसा ने खुद मुलायम को लेकर उसके गांव लेकर पहुंचे, तो पूरा गांव उसक स्वागत के लिए तैयार था।
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