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UP: डिंपल का समर्थन कर शिवपाल ने किया अपना नुकसान, जानिए क्यों बरेली के मौलाना ने दिया ये बयान

• LAST UPDATED : November 18, 2022

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इंडिया न्यूज, बरेली (Uttar Pradesh) । मैनपुरी लोकसभा के उपचुनाव की सरगर्मिया बड़ गई है, समाजवादी पार्टी ने श्रीमती डिम्पल यादव को टिकट दिया है और वहीं अपने भतीजे सपा मुखिया श्री अखिलेश यादव से नाराज़ चल रहे शिवपाल यादव ने सपा उम्मीदवार को खुला समर्थन देने का ऐलान किया है।

इस पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि शिवपाल यादव प्रदेश के कद्दावर सियासी लीडर हैं, वो एक ज़माने से अपने भाई मुलायम सिंह यादव के कामों को आगे बढ़ाते रहे, उनकी मंशा और मर्जी के मुताबिक काम करते रहें। मगर चन्द सालों से अपने भतीजे  अखिलेश यादव से उनके काम करने के तौर तरीकों को लेकर विवाद चला आ रहा है। मुसलमान मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव को अपना हितौषी मानते हैं, मगर अखिलेश यादव को नहीं।

सपा ने शिवपाल का अपमान किया
मौलाना ने मैनपुरी चुनाव पर कहा कि शिवपाल यादव को सपा उम्मीदवार डिम्पल यादव का समर्थन नहीं करना चाहिए, क्योंकि समाजवादी पार्टी के लोगों ने शिवपाल यादव का बहुत अपमान किया है, इस अपमान का बदला मैनपुरी चुनाव में लेने का सही वक्त है। अपने समर्थकों को अलग रास्ता इख्तयार करने को कहना चाहिए। यही सही वक्त है की शिवपाल यादव अपनी ताकत व कुव्वत का मुजाहिरा करते। उन्होंने बहुत बड़ी सियासी गलती की है। इस गलती का खामियाजा आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। जब शिवपाल अपने समर्थकों के लिए अखिलेश से लोकसभा के टिकट मांग रहे होंगे, और अखिलेश यादव जी उनके उम्मीदवारों की लिस्ट को कूड़ेदान में डाल रहे होंगे और अखिलेश यादव ये कह देंगे की आप अपनी एक सीट बता दिए बस इतना काफी है, दूसरी सीटों पर हम खुद फैसला करेंगे उसमें आपकी जरूरत नहीं है।

मुसलमान शिवपाल के साथ, अखिलेश के साथ नहीं
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि उत्तर प्रदेश का मुसलमान अखिलेश यादव के मुक़ाबले में शिवपाल यादव को ज्यादा पसंद करता है। पूर्व की सपा सरकार में मुसलमान अपने मसाइल को लेकर अखिलेश यादव के घर जाने के बजाय शिवपाल यादव के घर जाया करते थे, वो मुसलमानों से बात करते, इज्जत व सम्मान देते और उनकी समस्यों का समाधान भी करते थे। उस दौरान मैंने भी यह अपने आंखों से देखा है, अखिलेश यादव जी के घर एकाध ही मुसलमान ही नजर आते थे वो भी जो पार्टी के पदाधिकारी थे, मगर इसके विपरीत शिवपाल यादव के घर मुसलमानों का अच्छा खासा जमावड़ा रहता था। दोनों नेताओं के कोर ग्रुप के नामों पर अगर गौर करें तो आज भी ये वाजेह (स्पष्ट) तौर पर देखने को मिल जाएगा।

मौलाना ने शिवपाल यादव जी से अपील की है की अगर वो इज्जत व सम्मान चाहतें हैं तो अपने तौर पर लिए गए फैसले पर पुनर्विचार करें, वरना बहुत सियासी नुकसान हो जाएगा जिसका एहसास अभी नहीं चंद महीनों के बाद नजर आने लगेगा।

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