UP
इंडिया न्यूज, लखनऊ (Uttar Pradesh) । प्रवर्तन निदेशालय की स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और 6 अन्य आरोपियों के खिलाफ पीएमएलए यानी धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत आरोप तय किए हैं। अब इस मामले में सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है। मनी लॉड्रिंग मामले की जांच कर रही ईडी ने पिछले साल फरवरी में अभियुक्तों के खिलाफ अभियोजन शिकायत दायर की थी।
पुलिस ने दावा किया कि आरोपी रऊफ, रहमान, मसूद अहमद, मोहम्मद आलम, अब्दुल रज्जाक, अशरफ खादिरा और सिद्दीकी कप्पन प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसकी स्टूडेंट विंग कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्य हैं। ईडी के वकील कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 17 दिसंबर तय की है।
मथुरा में टोल प्लाजा से पकड़ा गया था
दरअसल, पुलिस ने कप्पन को 2020 में मथुरा में टोल प्लाजा से पकड़ा गया था। आरोप है कि वह हाथरस में युवती की गैंगरेप और हत्या के बाद लोगों को भड़काने जा रहा था। उसके कब्जे से भड़काऊ साहित्य मिले थे। उसके साथ तीन अन्य लोग भी थे। पुलिस ने आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था। पुलिस का दावा था कि कंपन्न शांति भंग करने की साजिश रच रहा था। वहीं उसके वकील ने दावा किया था कि वह पीड़िता से जुड़े मामले की रिपोर्ट करने जा रहा था.
सुप्रीम कोर्ट से मिली थी कप्पन को जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने नौ सितंबर को कप्पन को यूएपीए मामले में जमानत दी थी। हालांकि, कप्पन को उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले के कारण रिहा नहीं किया गया था। अक्टूबर में, लखनऊ की एक स्थानीय अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कप्पन की जमानत खारिज कर दी थी। एफआईआर के आधार पर, ईडी ने आरोपी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला शुरू किया, जबकि केंद्रीय एजेंसी की अभियोजन शिकायत हाथरस मामले तक ही सीमित थी।
उसने एक आधिकारिक बयान में दावा किया था कि 1.36 करोड़ रुपये का इस्तेमाल भारत में पीएफआई/सीएफआई कार्यकर्ताओं द्वारा गैर-कानूनी गतिविधियों के लिए किया गया था, जिसमें सीएए (नागरिक संशोधन अधिनियम) के विरोध प्रदर्शनों का फाइनेंस, हिंसा भड़काना और परेशानी पैदा करना शामिल था, जिसके कारण फरवरी 2020 में दिल्ली में दंगे हुए थे।
2.25 लाख में खरीदी थी कार
यह भी आरोप लगाया गया कि इस पैसे का एक हिस्सा जमीन खरीदने के लिए इस्तेमाल किया गया था और पीएफआई और सीएफआई द्वारा इसके भविष्य के उपयोग के लिए रखा गया था। अपनी शिकायत में ईडी ने दावा किया कि शरीफ ने मसूद अहमद और अतीकुर रहमान को धन दिया। ईडी ने दावा किया है कि इन पैसों का इस्तेमाल कर मसूद ने गिरफ्तारी से 15 दिन पहले हाथरस जाने के लिए 2.25 लाख रुपये में एक कार खरीदी थी।
यह भी पढ़ें: बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़ा, तीन टीचर और तीन रसोइया के जाली निकले दस्तावेज, मुकदमा दर्ज