(UP NEWS: Crores of rupees were spent to improve health services): उन्नाव में पिछले 5 सालों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए जिले को कई सौगातें तो मिलीं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही और अनदेखी की वजह से लोगों को आज तक उन सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
मौरावां में भी 100 बेड के अस्पताल का तोहफा मिला, मगर मौरावां में डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं है। जबकि अस्पताल के लिए विवेक सेठ ने करीब 14 बीघा जमीन दान में दी थी। लेकिन अस्पताल चालू न होने से विवेक सेठ अपने आप को छला हुआ समझते है ।
उन्नाव में करोड़ों रुपए से इमारत तो बना दी गई है, लेकिन इमारतों में न तो डॉक्टरों और न ही स्टाफ की तैनाती हुई है। जिसके चलते इन क्षेत्रों के गंभीर मरीजों को 50 किलोमीटर दूर या प्रदेश की राजधानी लखनऊ जाना पड़ता है। उन्नाव जिला अस्पताल का शिलान्यास अखिलेश की सरकार में हुआ था और इसका लोकार्पण 28 सितंबर 2020 को हुआ था।
इस अस्पताल की कुल लागत 39.10 करोड़ रुपये है। लेकिन ढाई साल बीत जाने के बाद भी आज तक यह अस्पताल सुचारू रूप से चालू नहीं हो सका है। उसका एक सबसे बड़ा कारण यहां पर मानक के अनुरूप ना तो डॉक्टर हैं और ना ही स्टाफ है।
हालांकि अस्पताल में प्रयोग होने वाले सभी आधुनिक उपकरणों की खरीद की जा चुकी है, लेकिन टेक्नीशियन की तैनाती ना होने के कारण सभी उपकरण अभी पैक बने हुए हैं।
आलम यह है कि अस्पताल शुरू होने से पहले ही अस्पताल की छतों पर लगी हुई फॉल सीलिंग टूटकर गिरने लगी है। वहीं कोविड-19 काल में इस अस्पताल में एक ऑक्सीजन प्लांट का भी निर्माण कराया गया था, जिसकी कीमत 48.84 लाख रुपये थी वह भी शोपीस बनकर खड़ा हुआ है।
यही कारण है कि इस अस्पताल में अभी तक मरीजों का इलाज नहीं शुरू हो सका है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि शासन को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है, वहां से मंजूरी मिलते ही जल्द ही डॉक्टरों की तैनाती की जाएगी और इन अस्पतालों में मरीजों का इलाज शुरू होगा।
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