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UP Nikay Chunav 2023: हार पर कैसे मंथन कर रही सपा-बसपा, जानिए कैसे लोकसभा में बीजेपी के अभेद्य रथ का सामना करेंगे विपक्षी

• LAST UPDATED : May 15, 2023

India News (इंडिया न्यूज), UP Nikay Chunav 2023: निकाय चुनाव (UP Nikay Chunav) के नतीजों ने बीजेपी (BJP) के लिए उम्मीदों के द्वार खोल दिए हैं। पिछले निकाय चुनाव (UP Nikay Chunav) मे 14 नगर निगम की सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी (BJP) ने इस बार प्रदेश (Uttar Pradesh ) के सभी नगर निगमों पर अपना कब्जा जमा लिया।

वहीं इस जीत से बीजेपी गदगद है तो विपक्ष के लिए चिंता बढ़ गई है। राजनीति के जानकारों की माने तो ये निकाय चुनाव लोकसभा (Lok Sabha Election 2024) के सेमी फाइनल के तौर पर लड़े गए थे। इस चुनाव के परिणाम ने स्पष्ट कर दिया कि बीजेपी के अभेद्य विजय रथ को रोकने में विपक्ष दूर नजर आ रहा है। ऐसे में विपक्ष को सोच समझकर कदम रखने की आवश्यकता है।

हालांकि सपा (Samajwadi Party) की ओर से कहा गया है कि ये चुनाव जबरदस्ती जीता गया है। अधिकारियों पर दबाव बना कर बीजेपी ने चुनाव को अपने पक्ष में किया है। सपा के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा कि अगर अधिकारी निष्पक्ष चुनाव होने देते तो चुनावी परिणाम कुछ और होते। वहीं बीएसपी सुप्रीमों मायावती (BSP Chief Mayawati ) ने कहा कि निकाय चुनाव में बीजेपी ने साम, दाम, दण्ड, भेद सब कुछ आजमाया है फिर जीत मिली है।

मुख्य विपक्षी दल की क्या है राय

सपा ने इस चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी लेकिन सफलता पाने से दूर रही। 17 नगर निगमों में से सपा को किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली है। वहीं सपा के वोट प्रतिशत में भी गिरावट देखने को मिली है तो बीजेपी का निकाय चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़ गया है। बीजेपी के सामने मुख्य विपक्षी दल सपा कहीं टिकती नजर नहीं आ रही है। वहीं इस निकाय चुनाव की बात करें तो सपा को आगामी लोक सभा चुनाव के लिए काफी तैयारी करनी होगी।सपा को जमीनी स्तर से सोचने की जरूरत है।

हार पर क्या बोले अखिलेश

निकाय चुनाव में हार का ठिकरा सपा ने अधिकारियों पर फोड़ा है। सपा का कहना है कि अगर अधिकारियों ने इमानदारी से चुनाव आयोजित कराया होता तो परिणाम कुछ और होते। वहीं निकाय चुनाव में हार के तुरंत बाद अखिलेश यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि “उप्र में भाजपा चुनाव जीतने के अपने हर पैतरें का इस्तेमाल कर रही है। हारती जगहों पर मतगणना धीरे करवा रही है। कुल वोटों से अधिक गिनने पर टेक्नीकल गलती बता रही है। अधिकारियों पर दबाव डालकर मनमानी रीकाउंटिग करवा रही है।भाजपा फ़रेबी मतगणना से जीत रही है, मतदान से नहीं।”

वहीं एक अलग ट्वीट में अखिलेश यादव ने निर्दलीय और सपा के जीते हुए प्रत्याशियों को बधाई दी है। उन्होंने लिखा कि “नगर निकाय चुनावों में जीते सपा के सभी प्रत्याशियों व भाजपा के ख़िलाफ़ लड़कर जीते सभी ‘अन्य’ प्रत्याशियों को भी हार्दिक बधाई!नगरों से थोड़ा बाहर आते ही, हर हथकंडे अपनाकर भी भाजपा बुरी तरह हारी है।”

क्या बोलीं मायावती

इस निकाय चुनाव में बीएसपी को करारी शिकस्त का समना करना पड़ा है। निकाय चुनाव में हार के बाद मायावती ने कहा कि इस चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की गई। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि “यूपी निकाय चुनाव में भाजपा के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डों के इस्तेमाल के साथ ही साथ इनके द्वारा सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से बीएसपी चुप होकर बैठने वाली नहीं है, बल्कि वक्त आने पर इसका जवाब बीजेपी को ज़रूर मिलेगा।”

वहीं उन्होंने कहा कि “साथ ही, तमाम विपरीत हालात का सामना करते हुए बीएसपी पर भरोसा करके पार्टी उम्मीदवारों को वोट करने के लिए लोगों का तहेदिल से आभार व शुक्रिया। अगर यह चुनाव भी फ्री एण्ड फेयर होता तो नतीजों की तस्वीर कुछ और होती। बैलेट पेपर से चुनाव होने पर बीएसपी मेयर चुनाव भी ज़रूर जीतती।”

मायावती ने एक अलग ट्वीट में कहा कि “वैसे चाहे भाजपा हो या सपा दोनों ही पार्टियाँ सत्ता का दुरुपयोग करके ऐसे चुनाव जीतने में एक-दूसरे से कम नहीं हैं, जिस कारण सत्ताधारी पार्टी ही धांधली से अधिकतर सीट जीत जाती है और इस बार भी इस चुनाव में ऐसा ही हुआ, यह अति-चिन्तनीय।”

बीजेपी का मुस्लिम कार्ड काम आया

यूपी निकाय चुनाव में बीजेपी (BJP) ने जबरदस्त मुस्लिम कार्ड खेला है। इस बार भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) ने जमकर मुस्लिम समाज के लोगों को टिकट दिया जिसमें अधिकांश सीटों पर सफलता भी मिली है। बीजेपी (BJP) के इस मुस्लिम कार्ड के सामने विपक्ष की पार्टियों का सूपड़ा साफ हो गया है। अमूमन मुस्लिमों के वोट को सपा (Samajwadi Party) और बसपा (BSP) का माना जाता है।

लेकिन इस बार बीजेपी ने निकाय चुनाव (UP Nikay Chunav) में इस अवधारणा को भी तोड़ दिया। पूरे प्रदेश में नगर पालिका, नगर निगम और नगर पंचायत समेत तमाम सभासद और पार्षदों में 395 लोगों को टिकट दिया था। जिसमे अधिकांश इलाकों में बीजेपी ने जीत दर्ज की है।

पसमांदा सम्मेलन का कमाल

निकाय चुनाव से पहले बीजेपी ने मुस्लिम बाहुल्य शहरों में पासमांदा सम्मेलन किया था। बीजेपी का ये प्लान गेम चेंजर साबित हुआ है। ऐसे में पासमांदा सम्मेलन से बीजेपी को फायदा तो हुआ है। वहीं निकाय चुनाव में बीजेपी ने सिर्फ अपने काम और सुशासन को मुद्दा बनाया जिसका सीधा फायदा बीजेपी के खाते में जाता नजर आ रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि विपक्ष के जातिगत समीकरण को चित करने में बीजेपी को बड़ी सफलता मिली है।

बढ़ा बीजेपी का वोट प्रतिशत

इस निकाय चुनाव के बाद बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है। 2017 में हुए नगर निकाय चुनाव की तुलना में बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है। पिछले चुनाव में बीजेपी का कुल वोट प्रतिशत 41 फीसदी था, लेकिन इस साल हुए निकाय चुनाव में बीजेपी के वोट प्रतिशत में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। ये वोट प्रतिशत बढ़कर 49 फीसद हो गया है। निकाय चुनाव की जीत से बीजेपी गदगद है।

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