UP Politics: राष्ट्रपति ने कल 13 राज्यों के राज्यपालों को बदला था। कुछ नए चेहरों को भी राज्यपाल की जिम्मेदारी दी गई थी। लोक सभा चुनाव से पहले ऐसे परिवर्तन के कई मायने निकाले जा रहे हैं वहीं यूपी से दो नेताओं के अलग अलग राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिसे बेहत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जानकारों की माने तो भाजपा ने राज्यपालों की नियुक्ति के जरिए यूपी में एक साथ कई समीकरण साधे हैं। कहा जा रहा कि इस नियुक्ति से बीजेपी ने सोशल इंजिनियरिंग भी साधी है।
दरअसल लोकसभा चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण माने जाने वाले यूपी में पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला को हिमाचल प्रदेश और लक्ष्मण आचार्य को सिक्किम का गवर्नर बनाया गया है। शिव प्रताप ब्राह्मण वर्ग से तो लक्ष्मण आचार्य दलित वर्ग की अगुवाई करते हैं।
जानकारों की माने तो इन बड़े नामों को जिम्मेदारी देते हुए बीजेपी ने रामचरित विवाद पर कड़ा प्रहार किया है। कहा जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य की रामचरित मानस को लेकर की गई टिप्पणी और संघ प्रमुख मोहन भागवत के पंडितों को लेकर दिए गए बयान से गरमाई सियासत में इन्हीं दो जातियों के मन में उमड़े सवालों को शांत करने की कोशिश की गई है। यही कारण है कि इन दोनो समाज से आने वाले बड़े चेहरे पर गवर्नर की जिम्मेदारी दी गई है।
नव नियुक्त हिमाचल के गवर्नर शिव प्रताप शुक्ला पूर्व केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री रह चुके हैं। 2022 में हुए लोक सभा चुनाव में वो भाजपा से नाराज चल रहे ब्राह्मणों को मनाने के लिए बनाई गई कमिटी में वह अगुवा थे। जानकारी हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गृहमंत्री अमित शाह के भी करीबी माने जाते हैं।
नव नियुक्त सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य 2022 के चुनाव में पूर्वांचल के ओबीसी वोटों को एकजुट करने में अपनी सक्रीय भूमिका निभाई थी। एमएलसी और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रभारी रह चुके हैं।
दोनो बड़े चेहरे प्रदेश के पूर्वांचल से आते हैं। वहीं दोनो की अपनी जतियों में अच्छी पकड़ है। शिव प्रताप गोरखपुर और लक्ष्मण आचार्य वाराणसी से हैं। राज्यपालों की सूची में भी अब तक छह नाम पूर्वांचल के ही हैं। लोकसभा चुनावों में भाजपा के लिहाज से पूर्वांचल अहम है। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा पूर्वांचल की गाजीपुर, घोसी, आजमगढ़, लालगंज, जौनपुर सीटें हार गई थी। इन सीटों पर बीजेपी की खास तैयारी है। यही कारण है कि जिम्मेदीरी मिलने के तुरंत बाद जेपी नड्डा ने अपनी पहली रैली गाजीपुर में की थी।
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