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इंडिया न्यूज, लखनऊ (Uttar Pradesh) । प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के अध्यक्ष शिवपाल यादव की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पहले उनकी सिक्योरिटी में कटौती हुई, फिर उनके खिलाफ गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में जांच की मंजूरी मांगी गई। अब शिवपाल को राजधानी लखनऊ के लाल बहादुर शास्त्री मार्ग पर मिला बंगला भी छिन सकता है। ऐसा क्यों, आगे पढ़िए…
विधायक को बंगले में होती है सिर्फ रहने की इजाजत
दरअसल, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शिवपाल यादव को एक विधायक के तौर पर बंगला आवंटित किया है। आवास के साथ यहां से उनकी पार्टी प्रसपा का कार्यालय भी संचालित होता है। जबकि विधायक को बंगले में सिर्फ रहने की अनुमति होती है। नियम के अनुसार, उनके इस आवास के आवंटन पर कभी भी संकट गहरा सकता है।
सिक्योरिटी की फिर से हो रही समीक्षा
शिवपाल यादव के पास दो दिन पहले तक जेड श्रेणी की सिक्योरिटी थी। अब उनके पास वाई श्रेणी की सिक्योरिटी है। सुरक्षा समिति ने उनकी सिक्योरिटी में कटौती कर दी थी। जानकारी के अनुसार, शिवपाल के बाद कई प्रसपा पदाधिकारियों की सिक्योरिटी की समीक्षा की जा रही है। जल्द उनकी सुरक्षा हटाए जाने से जुड़े आदेश जारी हो सकते हैं।
सीएम योगी ने 2017 में न्यायिक जांच कराई थी
लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट घोटाला उस वक्त हुआ था, जब शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी में सिंचाई मंत्री थे। बात 2012 से 2017 की है। साल 2017 में सत्ता परिवर्तन हुआ तो सीएम योगी आदित्यनाथ ने जांच कराई थी। अब शिवपाल का कहना है कि नियमों को ध्यान में रखते हुए रिवर फ्रंट में काम हुआ था।
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