Uttar Pradesh
इंडिया न्यूज, लखनऊ (Uttar Pradesh)। सपा के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री आजम खान ने जिस उम्मीद के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, वह टूट गया। हेट स्पीच मामले में रामपुर की अदालत के फैसले के वे कायल हो उठे थे, लेकिन उसी अदालत ने उन्हें मायूस कर दिया। एमपीएमएलए कोर्ट ने हेट स्पीच केस में उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी विधायकी चली गई। अब चुनाव प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। लेकिन बड़ा सवाल लोगों के मन में यही है कि क्या आजम खान का राजनीतिक करियर खत्म हो गया है? समझिए पूरी बात…
हाई कोर्ट के वकील प्रत्यूष कुमार के अनुसार, कई मामलों में सजा और चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध साथ-साथ चलता है। कई मामलों में सजा के बाद चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगता है। ऐसे में 6 साल के प्रतिबंध को ही मानकर चलें तो आजम के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। अभी आजम खान की उम्र 74 साल है। 6 साल को हिसाब मानें तो 80 साल की उम्र तक वे चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
प्रतिबंधों को ध्यान में रखें तो वे लोकसभा चुनाव 2024 और यूपी विधानसभा चुनाव 2027 में उतरने के योग्य नहीं होंगे। उन पर प्रतिबंध 2028 में खत्म हो सकता है। ऐसे में उनके सामने विकल्प 2029 का लोकसभा चुनाव हो सकता है। हालांकि, उस समय उनकी आयु 81 साल होगी। अगर 9 साल का प्रतिबंध लगा तो आजम यूपी चुनाव 2032 में ही उम्मीदवार बन पाएंगे। आजम तमाम स्थितियों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। ऐसे में अगर सेशन कोर्ट के फैसले को हायर कोर्ट से स्टे मिलता है तो बात बन सकती है।
प्रत्यूष कहते हैं कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (1) के तहत उप धाराओं में चुनाव लड़ने की स्थिति साफ की गई है। धारा 8 (1) की उप धारा 1 में साफ किया गया है कि अगर किसी जन प्रतिनिधि को किसी केस में फाइन किया जाता है तो उस पर छह साल का प्रतिबंध लग जाएगा। वहीं, अधिनियम की धारा 8 (1) की उप धारा 2 में कहा गया है कि अगर किसी जन प्रतिनिधि को सजा मिलती है तो सजा अवधि पूरी करने के बाद छह साल तक वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाएगा। भले ही वह जमानत पर जेल से बाहर क्यों न हो। इस हिसाब से आजम खान पर चुनाव लड़ने से 9 साल तक रोक लग सकती है।
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