Varanasi News
इंडिया न्यूज, वाराणसी (Uttar Pradesh) । दीपावली पर दीयों की खरीददारी में बीते कुछ वर्षों में इजाफा देखने को मिला है। स्वदेशी के प्रचार-प्रसार को लेकर मोदी-योगी सरकार की ओर से किये जा रहे प्रयासों का असर कुम्हारों की आमदनी पर भी दिखायी देने लगा है। हम बात कर रहे हैं इलेक्ट्रिक सोलर चाक की, जिससे कुम्हार कम समय में अधिक डिज़ाइनर दीये समेत अन्य मिट्टी के सामान बना रहे हैं। सरकार की ओर से नि:शुल्क इलेक्ट्रिक सोलर चाक वितरित करने के साथ ही पूर्वांचल के करीब 13,120 लोगों को सीधे स्व-रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। दीपावली के मौके पर दीयो की मांग बढ़ने और उसे इलेक्ट्रिक सोलर चाक से पूरा कर लेने से कुम्हारों की आमदनी के साथ ही चेहरे की मुस्कान भी बढ़ रही है।
मिट्टी को मूर्त रूप देने वाले कुम्हारों के हाथ अब चाक पर रुक नहीं रहे हैं। खादी और ग्रामोद्योग आयोग के उप निदेशक एवं प्रभारी रितेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पूर्वांचल के 12 जिलों में कुम्हार सशक्तिकरण और ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत वर्ष 2016 -17 से अबतक सरकार ने 3280 इलेक्ट्रिक सोलर चाक का नि:शुल्क वितरण किया है। इससे 13,120 लोगों को सीधे सीधे स्व-रोजगार मिला है। इस चाक की कीमत 20 हज़ार रुपये होती है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वालों को सरकार की ओर से नि:शुल्क वितरित किया जाता है। इसके अलावा गैर बीपीएल को कीमत के 10 प्रतिशत के भुगतान पर मिलता है।
वाराणसी के कुम्हार और मास्टर ट्रेनर बिहारी प्रजापति व विकास प्रजापति ने बताया कि इलेक्ट्रिक सोलर चाक कुम्हारों के घरों में नई रोशनी लेकर आया है। हाथ से चलने वाले चाक थका देने के साथ बीमारी भी देते थे। पहले हाथों में जख्म, हाथ, कंधे और सीने में दर्द रहता था, जिसके चलते पहले दो घंटे काम में बाकी समय आराम में जाता था। अब 10 से 12 घंटे परिवार के सभी सदस्य मिल कर काम कर लेते हैं। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिक सोलर चाक उनके उत्पादन की क्षमता को करीब 6 से 7 गुना बढ़ा दिया है और आमदनी भी करीब 4 से 5 गुना बढ़ गई है। साथ ही दीपावली में मिलने वाले ऑर्डर से अब कुम्हारों के घर भी रौशन हो रहे हैं।
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