Mainpuri
इंडिया न्यूज, मैनपुरी (Uttar Pradesh): उत्तर प्रदेश के मैनपुरी लोकसभा सीट से 1957 में एक प्रत्याशी को मिले थे ‘0’ वोट मिला था। प्रत्याशी के खुद का वोट भी रद्द हो गया था। भारत निर्वाचन आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार उस चुनाव में 6 प्रत्याशी मैदान में थे। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बंसीदास धनगर, बादशाह (कांग्रेस), जगदीश सिंह (अखिल भारतीय जनसंघ) और निर्दलीय उम्मीदवार शंकर लाल, मणि राम और पुत्तू सिंह प्रत्याशी थे।
सपा का गढ़ रहा है मैनपुरी
मैनपुरी लोकसभा सीट 25 साल से अधिक समय से समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा हैं। मैनपुरी संसदीय सीट पर दशकों पहले हुए एक चुनाव में एक प्रत्याशी के खाते में कोई वोट नहीं पड़ा था। यहां तक कि उसे अपना वोट भी नसीब नहीं हुआ था। यह वाक्या 1957 के आम चुनावों का है जब निर्दलीय उम्मीदवार शंकर लाल को दूसरों का तो छोड़ों अपना वोट भी नहीं मिल पाया था, क्योंकि गिनती के दौरान उसे अमान्य करार दे दिया गया था।
आखिरी नंबर पर रहे शंकर लाल को मिले थे 0 वोट
प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बंसीदास धनगर को चुनाव में पड़े कुल 1,96,750 वोट में से 59,902 वोट मिले थे वह विजयी घोषित हुए थे। वहीं, कांग्रेस के बादशाह 56,072 वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे। अखिल भारतीय भारतीय जनसंघ के जगदीश सिंह को 46,627 वोट मिले थे। निर्दलीय प्रत्याशी मणिराम और पुट्टू सिंह को क्रमश: 17,972 और 16,177 वोट मिले थे। वहीं, अंतिम स्थान पर रहे शंकर लाल को शून्य वोट (कोई वोट नहीं) मिले थे।
भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार, 1957 में मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कुल मिलाकर 3.93 लाख से अधिक मतदाता (3,93,180) थे, जिनमें से 50% से कुछ अधिक ने मतदाताओं ने अपने अधिकार का उपयोग किया।
मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा-भाजपा के बीच टक्कर
गौरतलब है कि अक्टूबर में मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हो गई थी और कल वहां उपचुनाव के लिए वोट डाले गए थे। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव की बड़ी बहू और सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव मैदान में हैं। वहीं, भाजपा की तरफ से रघुराज सिंह शाक्य चुनाव लड़ रहे हैं। शाक्य कभी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के मुखिया और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव के करीबी सहयोगी थे। इस साल के शुरूआत में उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे।
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