इंडिया न्यूज, कानपुर:
World First Floating CNG Station बनारस के खिड़किया घाट को ईको फ्रेंडली (पर्यावरण के अनुकूल) बनाने में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के विज्ञानियों ने भी अहम भूमिका निभाई है। इसी कड़ी में आइआइटी की इंक्यूबेटेड कंपनी एक्वाफ्रंट इंफ्रास्ट्रक्चर ने गंगा की धारा पर सीएनजी फिलिंग स्टेशन तैयार किया है। इससे सीएनजी नावों को ईंधन मिल सकेगा। विश्व का यह पहला तैरता हुआ सीएनजी स्टेशन है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह तकनीक देख विज्ञानियों को शुभकामनाएं दी हैं।
वाराणसी में खिड़किया घाट को अत्याधुनिक माडल घाट के रूप में तैयार किया गया है। यह पूरी तरह ईको फ्रेंडली और सुविधाओं की दृष्टि से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यात्री सीएनजी नावों से काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर तक पहुंचने के लिए नदी का रास्ता अपना सकते हैं।
नावों में सीएनजी भरवाने के लिए गंगा तट पर आइआइटी के विज्ञानियों ने तैरने वाला सीएनजी स्टेशन तैयार किया है। आइआइटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा कि यह गर्व की बात है कि हमने काशी विश्वनाथ धाम में अपना योगदान दिया है। हमारी इन्क्यूबेटेड कंपनी ने नावों के लिए दुनिया का पहला तैरने वाला सीएनजी स्टेशन बनाया है।
एक्वाफ्रंट इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को तीन वर्ष पूर्व आइआइटी बीएचयू के छात्र अंकित पटेल व अचिन अग्रवाल ने मिलकर बनाया था। आइआइटी कानपुर ने इसमें तकनीकी मदद की थी। कंपनी फ्लोटिंग डाक्स, स्टील की फ्लोटिंग जेट्टी, डंब बार्ज (नदियों में भारी माल ले जाने के लिए तैरने वाला प्लेटफार्म) आदि उत्पाद बनाती है।
वाराणसी में कंपनी के निदेशक अंकित पटेल व अचिन के साथ ही केशव पाठक, राकेश जटोलिया और जय शंकर शर्मा ने प्रोजेक्ट तैयार किया। आइआइटी बीएचयू के प्रो. केके पांडेय के प्रयास से इसे लागू किया गया है।
कंपनी के निदेशक अंकित पटेल ने बताया कि इसी वर्ष जुलाई में उन्हें सरकार की ओर से यह प्रोजेक्ट मिला था। तब 2.85 करोड़ रुपये का टेंडर था, लेकिन इसे तैयार करने में कुल 3.62 करोड़ रुपये लगा है। करीब पांच महीने में प्रोजेक्ट पूरा कर लिया गया और आइआइटी बीएचयू के साथ ही इंडियन रजिस्टर आफ शिपिंग की ओर से जांच के बाद उसे प्रमाणित भी किया जा चुका है। अब वाराणसी में रविदास घाट पर ऐसा ही स्टेशन बनाने की तैयारी है।