(Youth accused of raping a minor): कुशीनगर में 2.50 करोड़ की लागत से बना सोलर पैनल प्लांट, करीब 40 घण्टे पानी के लिए लोग तरसते रहे।
विद्युत कर्मियों की हडलात से प्रदेश में उपजे बिजली सकंट के दौरान कुशीनगर में करोडो की लागत से स्थापित वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की पोल खोल कर रख दी है।
अंतराष्ट्रीय पर्यटक स्थली कुशीनगर में किसी भी दशा में विद्युत आपूर्ति के बाधित होने पर पथ प्रकाश एवं पीने के पानी की व्यवस्था बनाये रखने के लिये लगभग 2.50 करोड़ की लागत से सोलर पैनल प्लांट लगाये गए थे।
लेकिन इन सोलर पैनलों को इंस्टाल करने वाली कंपनी द्वारा कार्य को आधा अधूरा छोड़ के भाग जाने से जरूरत के वक्त ये सोलर पैनल चले ही नही जिससे पूरा महापरिनिर्वाण मार्ग अंधरे में डूबा रहा।
जिससे कुशीनगर घूमने आये देसी विदेशी पर्यटक होटलों में कैद हो कर रह गये। इतना ही नही इन सोलर पैनलों के खराब हो जाने का खामियाजा लगभग 20 हजार की आबादी को भी भुगतना पड़ा। जो लगभग 40 घण्टे पानी के लिए तरसती रही।
कुशीनगर नगरपालिका में हुए इस महा भरस्टाचार पर नगरपालिका का कोई अधिकारी अपना मुंह खोलने को तैयार नही है जबकि नगर पालिका ने अग्रिम भुगतान के तौर पर कंपनी को 1 करोड़ 15 लाख का भुगतान भी कर दिया है।
जिलाधिकारी रमेश रंजन को जब नगरपालिका कुशीनगर में हुई इस अनियमितता की जानकारी दी गयी। तो उन्होंने एस डी एम कसया और अधिशासी अधिकारी से मामले की अभिलेखीय जांच कराने की बात कहते हुए दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की बात कही है।
दरअसल 2016 /17 में सपा सरकार द्वारा अंतरास्ट्रीय पर्यटन स्थली कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मार्ग के पथ प्रकाश एवं पीने के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये सोलर पैनल प्लांट का निर्माण करवाया था।
पीने के पानी के लिये मेसर्स सोलर एनर्जी डेवलपमेंट करपोरेटिव सोसाईटी को जिम्मेदारी सौंपी गई तो पथ प्रकाश के लिए पर्यटन विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गयी। पर्यटन विभाग द्वारा पथ प्रकाश के लिए लगाये गये सोलर लाइट कुछ दिन जलने के बाद मरम्मत और रखरखाव के अभाव में शो पीस बनकर रह गये।
कुशीनगर नगर पालिका द्वारा करोडो रूपए खर्च करने के बाद भी इसका लाभ ना मिल पाने का मलाल स्थानीय लोगो को है और लोग नगरपालिका के इस भरस्टाचार के खिलाफ मुखर होने लगे है।
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