Demographic change in Uttarakhand: देवभूमि में हुए डेमोग्राफिक चेंज का मुद्दा इस वक्त देश भर में चल रहा है। खासकर उत्तराखंड के 4 मैदानी जिलों में जिसमें हरिद्वार जिले में सबसे अधिक डेमोग्राफिक चेंज हुआ है, यहां पिछले कुछ सालों में आश्चर्यजनक ढंग से गैर हिंदुओं की आबादी बढ़ी है। वहीं जानकार इस असंतुलन को भविष्य के लिए खतरा बता रहे हैं।
हिंदुओं की आस्था का पहचान है हरिद्वार
हरिद्वार की पहचान हिंदुओं की आस्था के केंद्र से है। यहां गंगा में स्नान करने के लिए साल भर में करोड़ों लोग आते हैं, वहीं कुंभ मेले के दौरान हरिद्वार विश्व भर में फैले हिंदुओं की आस्था का केंद्र बन जाता है।
लेकिन पिछले कुछ सालों में हरिद्वार में जनसांख्यिकीय असंतुलन बढ़ा है। सीमांत जिला होने के चलते उत्तर प्रदेश के बिजनौर, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जिले से बड़ी तादाद में गैर हिंदू यहां आकर कानूनी और गैरकानूनी ढंग से बस गए हैं।
साधु-संतों ने उठाया गैर हिंदुओं के अवैध प्रवास का मुद्दा
हरिद्वार के साधु-संतों ने ही सबसे पहले उत्तराखंड के कई स्थानों पर गैर हिंदुओं के अवैध धार्मिक स्थलों का मुद्दा उठाया था। जिसे लैंड जिहाद का नाम दिया गया था। उसके बाद सरकार ने मामले में सर्वे कराया तो धार्मिक प्रतीकों के नाम पर सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण की बात उजागर हुई। अब मामले में सरकार के सख्त रुख से संतों में संतोष है, वहीं अब संत इसके खिलाफ अभियान छेड़ने की बात कह रहे हैं।
बीजेपी संतो की बात से सहमतत
हरिद्वार में बीजेपी संगठन भी मान रहा है कि पिछले कुछ सालों में तेजी से हरिद्वार में दूसरे समुदाय के लोग आकर बसे हैं। जिससे यहां डेमोग्राफिक चेंज हुआ है। पिछली सरकारों में इस ओर ध्यान नहीं दिया गया लेकिन धामी सरकार ने लैंड जिहाद के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है।
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