इंडिया न्यूज: (Power crisis gave sleepless nights to Dhami government) राज्य में इस साल बारिश कम होने और गैस से चलने वाले बिजली उत्पादन से राज्य में बिजली संकट गहराता ही जा रहा है। जिसे लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की शुक्रवार शाम को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से मुलाकात भी होनी है।सरकार को उम्मीद है कि इस बैठक में कोई हल जरूर निकलने वाला है जिससे उत्तराखंड में बिजली संकट से उबरने में मदद मिलेगी।
खबर में खास:-
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बिजली उत्पादन से राज्य में बिजली संकट गहराता ही जा रहा
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राज्य में अभी भी 20 लाख यूनिट की कमी पड़ रही
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300 मेगावाट की परियोजना का काम शुरू हो चुका
राज्य में 20 लाख यूनिट की कमी आ पड़ रही
उत्तराखंड में बिजली संकट लगातार गहराता ही जा रहा है। अभी भी राज्य में बिजली उत्पादन और सेंट्रल पूल कोटे की बिजली को मिला दिया जाए तब भी राज्य में 20 लाख यूनिट की कमी आ पड़ रही है। ऐसे में राज्य को नजर उन बंद पड़े उत्पादन केंद्रों पर हैं जो गैस की मदद से चलते हैं। इसको लेकर राज्य के मुख्यमंत्री की शुक्रवार शाम को शाम 5 बजे केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के साथ एक अहम बैठक होने वाली है।सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि अभी भी बिजली संकट लगातार बना हुआ है, जो बारिश कम होने की वजह से संकट पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बिजली संकट से उबरने के लिए राज्य में गैस आधारित विद्युत प्लांट पर काम कर रही है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गैस के रेट अभी ज्यादा है उम्मीद है, कि जल्द गैस के रेट कम होंगे और विद्युत उत्पादन की सप्लाई कर सकेंगे।
300 मेगावाट की परियोजना का काम शुरू हो चुका
उत्तराखंड राज्य में बिजली संकट से मिलने के लिए सरकार की तरफ से तेजी से काम किए जा रहे हैं। जिसके लिए कई बंद पड़ी विद्युत परियोजनाओं को शुरू करने का काम भी किया जा रहा है। इसी क्रम में राज्य में बंद पड़ी 300 मेगावाट की लखवाड़ विद्युत परियोजना का काम शुरू हो चुका है। सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि भागीरथी इको सेंसटिव ज़ोन की वजह से पूरे भागीरथी नदी और घाटी में जल विद्युत परियोजनाओं पर रोक लगी हुई है।
ऊर्जा सचिव का कहना है कि इन सभी रुकी हुई परियोजनाओं को जारी करने संबंधित महत्वपूर्ण बैठक भारत सरकार से होनी थी। जो जोशीमठ त्रासदी के चलते कैंसिल हो गई थी। ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि वह लोगों से इस मामले में अपील करना चाहते हैं कि किसी भी तरह की कोई घटना अगर घट जाती है तो उसके लिए जल विद्युत परियोजना को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है ।क्योंकि इसी की वजह से राज्य में बिजली संकट पैदा हो जाता है।