Big Accident
इंडिया न्यूज, चमोली (Uttarakhand) । उत्तराखंड के चमोली जिले में शनिवार सुबह बड़ा हादसा हुआ। थराली तहसील के पैनगढ़ गांव में पहाड़ी पर भूस्खलन के बाद गिरे बोल्डरों से दो मकान जमींदोज हो गए। इनमें से एक मकान के ऊपर भारी बोल्डर गिरा, जिससे मकान में रह रहे एक ही परिवार के चार लोगों की दबने से मौत हो गई। भूस्खलन से आसपास के मकानों को भी क्षति पहुंची है। सूचना पाकर अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं।
घटना स्थल पर पुलिस, एनडीआरएफ एसडीआरएफ की ओर से रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। चारों शव मलबे से बाहर निकाल दिए गए हैं। घटना में दो लोग घायल हुए हैं। उन्हें सीएचसी थराली में इलाज के बाद हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है। आसपास के लोगों का कहना है कि पैनगढ़ गांव के ऊपर लगातार हो रहे भूस्खलन से भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर गिर रहे हैं।
जमींदोज हुए इन दो मकानों में से एक मकान में कोई नहीं रह रहा था। जबकि दूसरे मकान में रह रहे एक ही परिवार के पांच लोग भूस्खलन की चपेट में आने से मलबे में दब गए। घटना की सूचना मिलते ही राजस्व पुलिस और रेगुलर पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से राहत बचाव कार्य शुरू किया।
सुबह तड़के NDRF की टीम ने मलबे में दबे परिवार के 5 लोगों को बाहर निकाला। लेकिन 4 लोगो की मौत हो चुकी थी। इनमें देवानंद (57) पुत्र माल दत्त सती, बचुली देवी पत्नी माल दत्त सती (75), घनानंद पुत्र माल दत्त सती (45), सुनीता देवी (37) पत्नी घनानंद शामिल हैं।
वहीं ग्रामीणों ने इस घटना का ठीकरा शासन प्रशासन पर फोड़ते हुए कहा कि पहाड़ी से हो रहे भूस्खलन की सूचना और विस्थापन की मांग लम्बे समय से ग्रामीणों द्वारा की जा रही थी। एक वर्ष से भी ज्यादा लंबे समय से भूस्खलन हो रहा था। बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन ने इसकी सुध नहीं ली और ग्रामीणों को विस्थापित नहीं किया गया। जिसका नतीजा है कि भूस्खलन की चपेट में आने से एक ही परिवार के चार लोग काल के गाल में समा गए। पैनगढ़ गांव थराली से करीब 12 किलोमीटर दूर है। थराली से आधे रास्ते तक वाहन जाते हैं। ग्रामीणों को करीब तीन किलोमीटर पैदल चलकर गांव में पहुंचना पड़ता है। गांव के लोगों की आजीविका खेतीबाड़ी व नौकरी पर निर्भर है।
पैनगढ़ गांव भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील है। यहां गांव के ऊपर पहाड़ी पर पांच साल पहले दरार पड़ गई थी और जो बाद में बढ़ती गई। पिछले साल बरसात के दौरान यहां के करीब 40 परिवारों को दूसरी जगह टेंट व छानियों में सुरक्षित स्थान पर भेजा गया था। ग्रामीणों ने बताया कि बताया कि पूरे गांव में करीब 80 परिवार रहते हैं। गांव के जिस भाग में पहाड़ी में दरार और भूस्खलन होने से खतरा बना है वहां करीब 30 परिवार निवास कर रहे हैं।
पूरे गांव में दीपावली की तैयारियां चल रही थी। काफी संख्या में लोग दीपावली पर अपने गांव पहुंचे हैं। देर रात तक गांव के लोग पटाखे जलाकर जश्न मनला रहे थे, लेकिन शनिवार तड़के करीब 1.45 बजे हुई इस घटना ने गांव सहित पूरी पिंडरघाटी क्षेत्र को शोक की लहर छा गई है।
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