India News (इंडिया न्यूज़), Rishikesh News : उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में भी डेंगू और वायरल का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। जौलीग्रांट एवं आसपास क्षेत्र में ही डेंगू के करीब 100 से अधिक मरीज मिल चुके हैं। डेंगू और वायरल फीवर के लक्षण एक जैसे होने से मरीजों में दहशत बनी है। इसके चलते ग्रामीण इलाकों में बकरी के दूध की डिमांड और कीमत बढ़ गई है। दूध लेने के लिए बकरी पालकों के घरों में लाइन लग रही है। लोगों का मानना है कि बकरी का दूध प्लेटलेट्स बढ़ाने में कारगर है।
जौलीग्रांट के पाल मोहल्ले में कुछ परिवार बकरी पालन करते हैं। जौलीग्रांट में भर्ती डेंगू मरीजों और अन्य पीड़ितों के परिजन बकरी का दूध लेने के लिए पाल मोहल्ला पहुंच रहे हैं। वहीं बकरी पालकों के लिए दूध की इतनी मांग को पूरा करना मुश्किल हो रहा है। सुबह से दूध लेने के लिए लोगों की लाइन लग रही है। बकरी का दूध 100 रुपये में 250 ग्राम तक मिल रहा है। बकरी पालक महिपाल पाल ने बताया कि वह और उनका भाई गोविंद पाल बकरी पालते हैं। उनके पास सुबह से लोग बकरी का दूध लेने आ रहे हैं।
डेंगू मरीज को बकरी का दूध पिलाने की धारणा को लेकर डॉक्टर सहमत नहीं हैं। डॉक्टर का कहना है कि मरीज के शरीर में पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए। इसके लिए तरल पदार्थों का सेवन जरूरी है। बकरी का दूध मरीज को नुकसान पहुंचा सकता है।
डॉ. केएस भंडारी, चिकित्सा अधीक्षक सीएचसी डोईवाला का कहना है कि डेंगू मरीजों को बकरी के दूध से फायदा मिलने को लेकर कोई रिसर्च सामने नहीं आई है। ये केवल लोगों का अपना मत है। मरीजों में पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए। उन्हें पानी और ओआरएस जैसे तरल पदार्थ लेना चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर ही टेस्ट और संबंधित दवा का सेवन करना चाहिए।