India News (इंडिया न्यूज़), Uttarkashi News : जिला अस्पताल उत्तरकाशी में डायलिसिस कराने के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। इसके कारण मरीजों को डायलिसिस कराने के लिए हर तीसरे दिन देहरादून, हरिद्वार और बिजनौर के निजी अस्पतालों की दौड़ लगानी पड़ रही है। कुछ मरीज मैदान में किराये का कमरा लेकर रह रहे हैं, जिससे उनपर आर्थिक बोझ काफी बढ़ गया है।
वहीं हंस फाउंडेशन की ओर से संचालित डायलिसिस यूनिट में मशीन और स्टाफ की कमी होने के कारण भी कई परेशानियां हो रही हैं। यहां चिकित्सक और स्टाफ नहीं होने के कारण तकनीकी स्टाफ को ही डायलिसिस करनी पड़ रही है जो खतरनाक साबित हो सकती है।
जिला अस्पताल उत्तरकाशी में दो डायलिसिस मशीन लगाई गई हैं, जिस पर प्रतिदिन चार मरीजों की डायलिसिस की जाती है। शेड्यूल के अनुसार, सप्ताह में अभी दोनों मशीनों के जरिये केवल 10-12 मरीजों की डायलिसिस हो पा रही है।
जिला अस्पताल उत्तरकाशी में डायलिसिस के लिए 45 मरीजों ने पंजीकरण कराया है। इनमें अधिकांश मरीज ऐसे हैं, जिन्हें हर तीसरे दिन डायलिसिस की जरूरत होती है। साथ ही कुछ मरीजों को महीने में चार बार डायलिसिस करानी पड़ती है। जबकि कुछ ऐसे भी मरीज हैं, जिन्हें महीने में दो बार डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। ऐसे में नए मरीजों का नंबर आने में देरी होती है और डायलिसिस के लिए प्रतीक्षा सूची बढ़ती जाती है।
नगर पालिका के सफाई कर्मचारी अमित कुमार बताते हैं, उनके पिता की हर तीन दिन में डायलिसिस होती है। हर बार डायलिसिस कराने के लिए उन्हें देहरादून या ऋषिकेश लेकर जाना पड़ता है। एक बार डायलिसिस कराने पर 10 हजार से अधिक का खर्चा आता है, ऊपर से किराये का खर्चा अलग।
उत्तरकाशी के तांबाखाणी निवासी वृद्धा बताती हैं कि कोविडकाल के दौरान उनके पति की मृत्यु हो गई थी। चार महीने पहले ही उनके बेटे की दोनों किडनी खराब हो गई। चिकित्सक हर तीन दिन बाद डायलिसिस कराने के लिए कह रहे हैं।
जिला अस्पताल उत्तरकाशी में पंजीकरण के बावजूद नंबर नहीं आ रहा है। इसलिए बेटे को बहू के साथ हिमालयन अस्पताल जौलाग्रांट भेजा है। चार माह से उन्होंने अस्पताल परिसर में ही डेरा डाल रखा है। अब हर तीसरे दिन उत्तरकाशी से देहरादून आवाजाही में काफी पैसे खर्च हो जाएंगे।
आमतौर पर शरीर में गुर्दा खराब होने के बाद यह रक्त को फिल्टर करना बंद कर देता है। इसके कारण रक्त में अपशिष्ट और जहरीले तत्व बनने लगते हैं। डायलिसिस के जरिये रक्त से अपशिष्ट तथा अतिरिक्त द्रव्य पदार्थ को फिल्टर किया जाता है। गुर्दा खराब होने के बाद मरीज की डायलिसिस की जाती है। डायलिसिस मरीज की हालत पर निर्भर करता है कि उसे कितने दिन में डायलिसिस की जरूरत पड़ती है।
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