इंडिया न्यूज: (Royal ride becoming extinct in the era of modernity) एक समय हुआ करता था जब राजा-महाराजाओं की शाही सवारी तांगे पर हर कोई बैठने के लिए बेकरार रहा करता था। लेकिन समय के साथ-साथ और आधुनिकता की दौड़ में राजाओं की शाही सवारी तांगा अब विलुप्त होती नजर आ रही है। इतना ही नहीं आलम यह है कि हरिद्वार के तांगा संचालकों का तांगे के सहारे जीवन यापन करना भी मुश्किल हो गया है।
हरिद्वार के तांगा संचालक जगदीश खत्री बताते हैं कि जब उन्होंने तांगे की शुरुआत की थी तब 300 के करीब तांगे हरिद्वार में चला करते थे, लेकिन अब गिनती के 10 ही तांगे ही हरिद्वार में बचे हैं, साथ ही जगदीश खत्री ने बताया कि अब तांगे को खींचने वाले घोड़े का खर्चा उठाना भी बहुत मुश्किल हो गया है गुड़, चना, भूसा पहले की अपेक्षा बहुत महंगा हो गया है अब तो सवारी भी पैसे बचाने और समय को देखते हुए टांगे पर चढ़ने से इंकार करती है। कुछ शौकीन लोग ही हैं जो अभी भी तांगे पर सफर करना पसंद करते हैं। खत्री ने कहा कि वे केवल इस विरासत को बनाए रखना चाहते हैं और प्रशासन से केवल नो एंट्री में प्रवेश की मांग करते हैं।
तांगे की सवारी करने वाले यात्री सवारियों ने बताया कि शाही सवारी तांगा गाड़ी के बहुत ही फायदे हैं, ना तो इससे किसी एक्सीडेंट का खतरा है और ना ही प्रदूषण का, सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और इनकी विलुप्त होने के कारण को पता कर समाधान निकालना चाहिए। आज के समय में भी हमारी पुरानी विरासत को इन तांगा संचालकों ने ही बचाए रखा हुआ है
सड़कों पर चलने वाले ऑटो, ई-रिक्शा भले ही लोगों को कम समय में अपने स्थान पर पहुंचा देते हो लेकिन शाही सवारी तांगे का अपना एक अलग ही जलवा हुआ करता था। हर कोई तांगे की सवारी करना चाहता था लेकिन समय बचाने के चक्कर में लोगों ने शाही सवारी को अब पसंद करना बंद कर दिया है।
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