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Joshimath Landslide: जोशीमठ भूधंसाव में भूकंप की नहीं थी भूमिका, सिस्मिक स्टेशन से मिले डाटा के आधार पर निकला निष्कर्ष, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

• LAST UPDATED : October 1, 2023

India News (इंडिया न्यूज़),Earthquake Had No Role In Joshimath Landslide: वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने जोशिमठ में 11 सीस्मिक स्टेशन बनाए हैं। ये स्टेशन ब्रॉडबैंड के द्वारा देहरादून स्थित संस्थान में स्थापित कंट्रोल रूम को रियल सूचना देता है। ये स्टेशन एक मैग्नीट्यूड तक के सूक्ष्म भूकंप तक को रिकॉर्ड करने में क्षमताशाली है।  सीस्मिक स्टेशनों से मिले डाटा के आधार पर संस्थान इस निष्कर्ष पर पहुंच गया है कि जोशीमठ लैंडस्लाइड में भूकंप की भूमिका नहीं थी।

वैज्ञानिकों ने क्या कहा?

मीडिया से विशेष बातचीत के दौरान संस्थान के निदेशक डॉ. कालाचंद साईं ने कहा कि, अध्ययन रिपोर्ट में संस्थान के विज्ञानियों ने 13 जनवरी से 12 अप्रैल के बीच में आए भूकंपों को रिकॉर्ड किया।  रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में  जोशीमठ के 50 किलोमीटर के दायरे में 1.5 मैग्नीट्यूड के 16 बार भूकंप रिकॉर्ड किआ गया। इसे विज्ञानियों ने इस भूकंप आने के लिहाजे से सामान्य है।

रिपोर्ट में सामने आई ये बात

रिपोर्ट के मुताबिक, 1999 में चमोली जिले में आए 6.6 तीव्रता के भूकंप का केंद्र जोशीमठ के दक्षिण में स्थित था। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान और पिछली भूकंपीय गतिविधि दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम में बढ़ती भूकंपीयता की समान प्रवृत्ति दिखाती है, जो मुख्य रूप से चमोली भूकंप के केंद्र के आसपास केंद्रित है।

डॉ. साई का कहना है कि भूस्खलन और दरारों का मुख्य कारण जोशीमठ की ऊंची ढलानों पर हाइड्रोलॉजिकल असंतुलन या भूजल का असंतुलन है। मनोहर बाग क्षेत्र में पांच से 30 मीटर की गहराई तक के जल-संतृप्त क्षेत्र दर्शाते हैं कि भूजल की उपलब्धता ने मिट्टी के कटाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ढलान के किनारे कई नालियाँ हैं जिनके माध्यम से पानी उपमृदा में जा सकता है।

जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं

रिपोर्ट के मुताबिक यहां जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं है। घरों और व्यावसायिक इमारतों से रिसने वाला पानी भी जमीन में समा गया, जिससे योशिमाता की मिट्टी लगातार ढीली हो रही है। डॉ के अनुसार. साय, सिस्मोग्राफ ने अध्ययन अवधि के दौरान 24 जनवरी, 2023 को 5.4 की तीव्रता के साथ सबसे बड़ा भूकंप दर्ज किया। हालांकि, इसका केंद्र जोशीमठ से 100 किमी दूर नेपाल के पश्चिमी हिस्से में था। उन्होंने कहा कि भविष्य में यहां तेज भूकंप से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन जोशीमठ में हाल की घटनाओं में भूकंप की कोई भूमिका नहीं है।

वाडिया की रिपोर्ट का विस्तार से अध्ययन करने के बाद भूविज्ञानी डॉ. ए.के. बियानी ने कहा कि जोशीमठ क्षेत्र की उपग्रह के माध्यम से निगरानी करने और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की आवश्यकता है। वाडिया रिपोर्ट में कई लक्ष्यों के नतीजों को रिपोर्ट में शामिल करने की बात कही गई है।

यहां भूकंपरोधी स्टेशन स्थापित

पंका, औली रोड, सुनील, मारवाड़ी, भौना सुनील, हेलंग, मेरग, थांग, रविग्राम, अपर बाजार, तपोवन, गुरुगंगा।

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