India News (इंडिया न्यूज़), Kashipur News (काशीपुर): तलाक, तलाक, तलाक यह तीन शब्द मुस्लिम महिलाओं के लिए नर्क के जहरीले सांप के दंश के समान हैं। तीन तलाक के खिलाफ कानून बनने के बाद भी यह मुस्लिम महिलाओं का पीछा नहीं छोड़ रहा। जो अभी भी तीन तलाक की धमकी से पीड़ित और बेबस नजर आ रही हैं। जबकि केंद्र सरकार ने मुस्लिम समाज की महिलाओं को तीन तलाक से राहत देने के लिए कानून तो बना दिया, लेकिन कुछ लोग अभी भी इस कानून को अपने हाथ का खिलौना समझ रहे हैं। एक और ट्रिपल तलाक का मामला जनपद उधम सिंह नगर के काशीपुर से सामने आया जहां शादी के 12 साल बाद पति ने अपनी पत्नी को ट्रिपल तलाक देकर घर से बाहर निकाल दिया है।
मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक की दलदल से निजात दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की हिदायत और केंद्र सरकार ने बिल पास कर कर कानून तो पारित कर दिया, लेकिन ट्रिपल तलाक के मामले नहीं थम रहे। तीन तलाक को लेकर भले ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं। लेकिन आज भी मुस्लिम समाज में ऐसी कई महिलाएं हैं जो तीन तलाक का दंश झेल रही हैं।
तीन तलाक के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जनपद उधम सिंह नगर के काशीपुर से एक और ट्रिपल तलाक का मामला सामने आया है, जहां शादी के 12 साल बाद महिला को तलाक देकर घर से भगा दिया। एक महिला की शादी 12 वर्ष पूर्व मुस्लिम रीति रिवाज के साथ काशीपुर महेशपुर मदर कलोनी निवासी दानिश रजा के साथ के साथ हुए थी।
शादी के कुछ समय बाद ही दानिश ने दहेज की मांग करना शुरू कर दिया। पहले अपने लिए पल्सर बाइक की मांग की तो दमाद की मांग पर ससुरालियों ने पल्सर बाइक दे दी पीड़ित अंजुम का कहना है कि, मेरे पति दानिश द्वारा दहेज की मांग बढ़ती जा रही थी और मांग ना पूरी होने पर मेरे साथ मारपीट करना गाली गलौज करना शुरू कर दिया था और अब अपनी बहन की शादी करनी है और उसकी शादी के लिए दहेज की मांग मेरे घर वालों से की जा रही है। जिसका मेरे द्वारा विरोध किया गया तो मेरे साथ मारपीट की गई। मेरे घर वालों को बुलाकर बेरहमी से पीटा गया जिसके बाद तीन बार तलाक देकर मुझे घर से धक्के देकर भगा दिया।
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष सायरा बानो ने मीडिया को जारी बयान में कहा कि तीन तलाक के बहुत से केस आ रहे हैं। जो थाने तक जा रहे हैं। उसमें एफ.आई.आर होनी चाहिए, अगर पीड़िता समझौता नहीं करती है। तो उसमें एफ आई आर दर्ज कर गिरफ्तारी होनी चाहिए। जबकि पुलिस का कहना है कि सात साल से कम सजा वाले अपराधों में गिरफ्तारी पर रोक है। ऐसे मे जल्द ही इन समस्याओं का समाधान किया जाएगा।