India News (इंडिया न्यूज़),National Handloom Day: प्रदेश में कंडाली यानी की बिच्छू घास व भांग (इंडस्ट्रियल हैंप) के रेशे से बनी उत्तराखंड के हथकरघा उत्पाद देश-दुनिया में धूम मचाएं हुए हैं। प्राकृतिक रेशे से बने मफलर, वास्कट, स्टॉल की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ रही है। उत्तराखंड में हैंडलून उत्पाधों का सालाना 50 करोड़ो का करोबार होता है। 12561 बुनकर हथकरघा उद्योग से जुड़े हैं।
हाथों से तैयार की गई उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत रही गृहै। तकनीकी व मशीनी युग में राज्य के कई बुनकर परिवारों ने हथकरघा उद्योग को जीवित रखा हुआ है। उत्तरकाशी जिले के पुरोला, मोरी, टिहरी, डुंडा के ढालवाल, चमोली रानीचौरी के छिनका, घिंघराण, मंगरोली, अल्मोड़ा के मटेना दीनापानी, बाकेश्वर के धर्मधर, पिथौरागढ़ के मुनस्यारी, डीडीहाट, धारचूला, ऊधमसिंह नगर के जसपुर, काशीपुर, हरिद्वार के मंगलौर, देहरादून के कालसी, शेरपुर में बुनकरी का काम किया जा रहा है।
प्रदेश के चमोली जिले के मंगरौली में नेटल फाइबर कार्डिंग प्लांट बने हुए है। जहां पर कई महिलाएं कंडाली के रेशे से जैकेट और मफलर तैयार करती है। इसके साथ ही अलावा, टिहरी जिले के ढालवाला में भांग के फैब्रिक से बैग व अन्य उत्पाद बनाए जा रहे हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पीएम नरेंद्र मोदी को कंडाली के रेशे से तैयार वास्कट को भेंट किया तो प्रधानमंत्री ने इसकी काफी सराहना भी की थी।
नेशनल हैंडलूम डे (National Handloom Day) 7 अगस्त को मनाया जाता है और इसका उद्देश्य भारतीय हस्तशिल्प को बढ़ावा देना है। यह दिन भारतीय हस्तशिल्प की महत्वपूर्णता और उसके संरक्षण की याद दिलाने के लिए मनाया जाता है, जैसे कि हस्तशिल्प के कारीगरों की मेहनत और कला को महत्वपूर्ण बनाए रखने इसका उद्देश्य है।