India News (इंडिया न्यूज़), Uttarakhand News: वन विभाग के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक कार्यालय की ओर से रेस्क्यू सेंटर और अन्य मसलों को समयबद्ध तरीके से सुलझाने के लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी से अलग से समय मांगा गया है। ताकि प्रदेश में बढ़ रहे मानव वन्यजीव संघर्ष के मामलों में कमी लाई जा सके।
प्रदेश में वन्यजीवों के हमलों में लगातार इजाफा हो रहा है। वन्यजीव हिंसक होकर आबादी वाले क्षेत्र में लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं। वन विभाग ऐसे हिंसक वन्यजीवों को पकड़कर रेस्क्यू सेंटर में रखता है, लेकिन ज्यादातर रेस्क्यू सेंटर फुल चल रहे हैं। ऐसे में प्रदेश में नए रेस्क्यू सेंटर खोलने की दिशा में काम किया जा रहा है। इसमें कुछ नए रेस्क्यू सेंटर बनाने और पुरानों को विनिर्मित करने की योजना है।
लैंसडौन वन प्रभाग के कण्वाश्रम स्थित मृग विहार को मिनी चिड़ियाघर और रेस्क्यू सेंटर के रूप में विकसित किया जाना है। करीब 12 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले मृग विहार के रेस्क्यू सेंटर में तबदील होने से वन विभाग की मुश्किलें काफी हद तक कम हो जाएंगी। लेकिन यह मामला औपचारिकताएं पूरी नहीं होने से वर्ष 2018 से लटका है। जबकि इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है।
प्रदेश में वन विभाग के पास फिलहाल 5 रेस्क्यू सेंटर हैं। इनमें मालसी में स्थित देहरादून जू रेस्क्यू सेंटर में नाममात्र के वन्यजीवों को रखने की जगह है। वहीं रानीबाग अल्मोड़ा में स्थित चिड़ियाघर और रेस्क्यू सेंटर में करीब 15 वन्यजीवों को रखने की जगह है।
हरिद्वार के चिड़ियापुर में स्थित रेस्क्यू सेंटर व नैनीताल चिड़ियाघर में रेस्क्यू सेंटर हैं, लेकिन यह सभी भरे हए हैं। एक रेस्क्यू सेंटर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के तहत ढेला रेंज में बनाया गया है। इनमें से चिड़ियापुर और ढेला में स्थित रेस्क्यू सेंटर में कुछ औपचारिकताओं को पूरा किया जाना है। जिसका मामला सीजेडए के स्तर पर विचाराधीन है।
डॉ. समीर सिन्हा, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक- कण्वाश्रम स्थित मृग विहार को मिनी चिड़ियाघर सहित अन्य रेस्क्यू सेंटर के संबंध में औपचारिकताएं पूरी किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। कुछ अन्य मसले भी हैं, इसके लिए सीजेडए से अलग से समय मांगा गया है। उम्मीद है सीजेडए की ओर से बैठक बुलाकर उत्तराखंड से जुड़े मसलों को शीघ्र निपटाया जाएगा।
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