इंडिया न्यूज: (Counting of vultures and eagles will be done in Corbett National Park) कॉर्बेट प्रशासन ने रेपटर प्रजाति(शिकारी पक्षी)के संरक्षण में एक नया प्रोजेक्ट की शुरुवात wwf के साथ मिलकर की है। जिसमे शिकारी पक्षियों के संरक्षण व इनकी गड़ना का कार्य कॉर्बेट प्रशासन व wwf की संयुक्त टीम द्वारा शुरू कर दिया गया है।
कॉर्बेट प्रशासन 16 साल बाद रेप्टर(शिकारी पक्षियों)की गड़ना करने जा रहा है।जिसमे गिद्ध, चीलों आदि शिकारी पक्षियों की गणना का कार्य शुरू कर दिया गया है।इससे पहले 2007 में गिद्धों और चीलों की गणना की गई थी। उस दौरान कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में गिद्ध और चीलों की संख्या 346 थी। कॉर्बेट पार्क में 9 से ज्यादा प्रजाति के शिकारी पक्षी पाए जाते है,जिसमे चमर गिद्ध, राज गिद्ध, काला गिद्ध, जटायु गिद्ध, यूरेशियाई गिद्ध, हिमालयी गिद्ध, रगड़ गिद्ध, देशी गिद्ध आदि हैं।रेडिएशन, बढ़ते शहरीकरण और जंगल के क्षेत्र के कम होने जैसे कई कारणों से शिकारी पक्षि जिसमे गिद्धों वगेरा की संख्या में काफी कमी आई है।
गौरतलब है कि पक्षियों में शिकारी पक्षी जैसे गिद्धों की प्रजाति का प्रकृति संतुलन में बड़ा अहम रोल होता है। हालांकि, इनकी संख्या तेजी से गिरी है। इस दौरान पूरे भारत में इनकी संख्या 34 हजार के करीब है। वहीं, जानकारी देते हुए wwf के सीनियर ऑफिसर सनी जोशी ने कहां कि शिकारी पक्षियों के संरक्षण को लेकर wwf 2019 से पूरे देश मे कार्य कर रहा है। उन्होंने कहाँ कि रेप्टर के ऊपर उत्तराखंड में पहली बार कार्य किया जा रहा है।पिछले हफ्ते हरिद्वार के राजाजी टाइगर रिज़र्व से हमने शुरुवात की थी। इसमे जो विलुप्त होते शिकारी पक्षी है उनके पॉपुलेसन सेंसेस,उनके ऊपर किस चीज का ज्यादा नुकसान है,उनके संरक्षण के लिए क्या क्या कार्य किये जा सकते है उसके अनुसार हम आगे कार्य करेंगे।
डायरेक्टर ने बताया कि आज से शिकारी पक्षियों के घोसलों की रेकी प्रथम सत्र में शुरू की जाएगी। उसके बाद उनके संरक्षण के लिए भी आगे का रोडमैप तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह सब कार्य शिकारी पक्षियों के संरक्षण व संवर्धन को लेकर किया जा रहा है। उन्होंने कहा क्योंकि पूरे देश में शिकारी पक्षियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है जो अपने आप में चिंता का विषय है।