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Ranveer Encounter Case: दोषी 5 पुलिसकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत, 28 चोटों से खुली थी बर्बरता की कहानी

• LAST UPDATED : November 25, 2022

Ranveer Encounter Case

इंडिया न्यूज, देहरादून (Uttarakhand)। देहरदून के चर्चित एमबीए छात्र रणवीर एनकाउंटर केस में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पुलिसकर्मियों को जमानत दे दी है। इस मामले में तत्कालीन इंस्पेक्टर संतोष कुमार जायसवाल, एसओजी प्रभारी नितिन चौहान, जीडी भट्ट, नीरज यादव और कांस्टेबल अजीत को जमानत मिली है। 2009 में हुए इस एनकाउंटर केस में कुल 17 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास हुई थी। जबकि कुछ को कोर्ट ने बरी कर दिया था। रणवीर यूपी के बागपत का रहने वाला था।

जांच में सामने आई थी ये सच्चाई
असलियत यह थी कि 3 जुलाई 2009 की दोपहर को रणवीर दो साथियों के साथ मोहिनी रोड पर बाइक लिए खड़ा था। डालनवाला कोतवाली से लौटते हुए दारोगा जीडी भट्ट ने संदिग्ध मानते हुए उनसे सवाल-जवाब किए। निर्दोष रणवीर खुद को संदिग्ध मानने से तिलमिला उठा। संदिग्ध कहे जाने को लेकर दारोगा से कहा-सुनी हुई और बात बढ़ने पर धक्का-मुक्की हो गई। किसी ने इस हंगामे की जानकारी कंट्रोल रूम पर दे दी। पुलिस रणवीर को पकड़कर चौकी ले गई।

रणबीर के परिजनों का आरोप है कि यहां पर उसे थर्ड डिग्री देकर टार्चर किया गया, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई। अपना जुर्म छुपाने के लिए पुलिस उसे गाड़ी में डालकर लाडपुर के जंगल में ले गई, जहां पर फर्जी मुठभेड़ की कहानी गढ़कर उसकी हत्या कर दी गई है।

पुलिस ने सुनाई थी ये कहानी
3 जुलाई 2009 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का मसूरी में दौरा होने के कारण पुलिस काफी सतर्क थी। सरकुलर रोड पर आराघर चौकी प्रभारी जीडी भट्ट दुपहर के समय वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। इसी बीच मोटर साइकिल पर आए तीन युवकों को रोका गया तो उन्होंने भट्ट पर हमला कर उनकी सर्विस रिवाल्वर लूट ली। लूटपाट के बाद तीनों बदमाश फरार हो गए।

कंट्रोल रूम में सूचना प्रसारित होने के बाद सक्रिय हुई पुलिस ने बदमाशों की तलाश शुरू की गई। करीब दो घंटे बाद लाडपुर के जंगल में बदमाशों से मुकाबले का दावा किया गया। आमने-सामने की फायरिंग में पुलिस ने रणवीर को मार गिराने का दावा किया था, जबकि उसके दो साथी फरार दर्शाए गए थे। मौके पर ही लाइसेंस के आधार पर उसकी पहचान कर दी गई थी।

ये है मामला
तीन जुलाई 2009 को देहरादून पुलिस ने एक बदमाश को मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था। पुलिस के अनुसार आरोपी आराघर चौकी इंचार्ज जीडी भट्ट का सर्विस रिवाल्वर लूटकर भागा था। बाद में उसकी पहचान रणबीर निवासी खेकड़ा, जिला बागपत के रूप में हुई थी।

कई संगठनों ने किया था प्रदर्शन
मुठभेड़ को लेकर भारतीय किसान यूनियन समेत कई संगठनों ने दून में हंगामा किया था। दो दिन बाद आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद पुलिस कटघरे में आ गई थी। रणबीर के शरीर पर गोलियों के 22 निशान पाए गए थे। यही नहीं रिपोर्ट में ब्लैकनिंग यानी सटाकर गोलियां मारना और 28 चोटों के निशान भी पाए गए। इस मामले में पहले सीबीसीआईडी ने विवेचना की और फिर सीबीआई ने इसकी सारी परतें उधेड़ दी थी।

रणवीर एनकाउंटर केस की टाइमलाइन

  • 3 जुलाई 2009 को एनकाउंटर में रणवीर की हत्या
  • 4 जुलाई को हत्या का आरोप, हंगामा, लाठीचार्ज किया
  • 5 जुलाई को पीएम रिपोर्ट आई, 25 चोटे, 22 गोली घंसी
  • 5 जुलाई को सीबीसीआईडी से जांच कराने के आदेश
  • 6 जुलाई को पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा
  • 7 जुलाई को सीबीसीआईडी की टीम ने शुरू की जांच
  • 8 जुलाई को नेहरु कॉलोनी थाने से रिकार्ड जब्त किया
  • 8 जुलाई को सरकार की सीबीआई जांच की सिफारिश
  • 31 जुलाई को सीबीआई ने दून आकर शुरू की जांच
  • 4 जून को दिल्ली की विशेष अदालत का फैसला सुरक्षित
  • 6 जून को 2018 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया गया

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