Tehri
इंडिया न्यूज, टिहरी : उत्तराखंड के टिहरी में एक युवक विदेशी कंपनी के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर की ऑनलाइन नौकरी कर रहा है। साथ ही गांव में बागवानी कर ग्रामीणों को भी रोजगार दे रहा है। जहां एक ओर पूरा पहाड़ पलायन का डंस झेल रहा है। वहीं टिहरी जिले के घनसाली विधानसभा के सुनार गांव निवासी अनिरुद्ध नेगी ने गांव में बागवानी कर मिसाल कायम की है।
टिहरी जिले के घनसाली विधानसभा के सुनार गांव निवासी अनिरुद्ध नेगी यूएसए में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। कोरोना काल के बाद वह स्वदेश लौट आए थे। अब गांव से ही ऑनलाइन कंपनी में कार्य करने के साथ-साथ गांव में ही बागवानी कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
युवाओं को स्वरोजगार की प्रेरणा दे रहे- अनिरुद्ध
अनिरुद्ध नेगी ने बताया कि जिस तरह पहाड़ का युवा लगातार बेरोजगारी की मार को देखते हुए पलायन कर रहा है। गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं। जिसके लिए उन्होंने पहाड़ में ही पहाड़ के युवाओं को जागरूक करने के लिए बागवानी पर विशेष ध्यान देते हुए पहाड़ के युवाओं को स्वरोजगार की प्रेरणा दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके दादा जी गांव से पलायन कर शहर की ओर चले गए थे। उनके पिता भी शहर में ही रहे हैं। उनकी शिक्षा दीक्षा भी शहर में हुई है। उनके पिता धनपाल सिंह नेगी गढ़वाल मंडल विकास निगम में नौकरी करते थे। रिटायर्ड होने के बाद गांव की ओर रुख किया और बागवानी की ओर विशेष ध्यान देते हुए, गांव के कई एकड़ भूमि पर पैट पुलम,अखरोट, कीवी, अमरूद, आम आदि की बागवानी की।
कई प्रकार के फलों की खेती
जिसके बाद लॉकडाउन होते ही अनिरुद्ध नेगी भी घर आये। तो उन्होंने देखा कि इससे गांव का विकास पहाड़ो से पलायन रुक सकता है। तो उन्होंने भी अपने पिता के साथ बागवानी में हाथ बताना शुरू किया। अनिरुद्ध ने कहा कि उनका फोकस है कि वह विदेशी फलो का उत्पादन यहां पर कर सके, वो मानते हैं कि कश्मीर और हिमाचल की तर्ज पर अगर उत्तराखंड में भी बागवानी पर ध्यान दिया जाय, तो उत्तराखंड में भी कई प्रकार के फलों की खेती की जा सकती है।
50 फीसदी से अधिक लोग कर चुके है पलायन
अनिरुद्ध ने बताया कि दादा के गांव से पलायन करने के बाद उनका पैतृक घर पूरी तरह से खण्डर में तब्दील हो चुका था। गांव के 50 फीसदी से अधिक लोग पलायन कर चुके हैं। फिर से एक बार अनिरुद्ध नेगी ने अपने पुराने घर को फिर से तैयार किया है। यूएसए में लाखों की सैलरी लेने वाले अनिरुद्ध के गांव की ओर रुझान देखकर ग्रामीणों सहित स्थानीय लोगों को कुछ सीख लेने की आवश्यकता है। जिससे आज पहाड़ का पलायन कुछ हद तक रुक सके।
यह भी पढ़ें: किसानों के मुद्दों को लेकर कांग्रेसियों ने किया धरना प्रदर्शन