India News (इंडिया न्यूज), Uttarakhand news (उत्तराखंड): प्रदेश में यूपी आवास विकास की 2 हजार करोड़ से ऊपर की परिसंपत्तियों का मामला लटका हुआ है। उत्तराखंड के इन परिसंपत्तियों के विक्रय के लिए जो नियम बनाए गए थे, उस पर यूपी से कोई जवाब नही आया है। इस वजह सें लोग 17 साल से लोग इन संपत्तियों के लिए भटक रहें हैं।
यूपी व उत्तराखंड अलग होने के बाद आवास विकास की जमीनों का मामला एक बड़ा मुद्दा रहा है। उत्तराखंड सरकार ने साल 2006 में यूपी आवास विकास की जमीनों की खरीदनें पर रोक लगा दी थी। जिस के जबाब में यूपी सरकार का कहना था कि यह संपत्ती उनकी है। इस पर रोक अस्वीकार्य है। मामला हाईकोर्ट में गया था, जिस पर साल 2015 में हाईकोर्ट ने भी यूपी पर रोक के आदेश जारी थी।
साल 2022 में दोनों राज्यों के सीएमो के बाच हुआ था समझौता
साल 2022 में यूपी और उत्तराखंड के सीएम के बीच इस मामलें पर समझौता हुआ था, जिसमें यह तय किया गया था कि यूपी आवास विकास की जमीनों का आवंटन उत्तराखंड-यूपी मिलकर करेंगे। इन संपत्तियों से आनें वाला आय दोनों राज्य सरकारों के बीच आधी-आधी बाट दी जाएगी।
साल 2022 के दिसंबर में उत्तराखंड सरकार ने इन जमिनों की खरिद से रोक तो हटा दी, लेकिन कोई विनियम न हो पानें के कारण यह प्रकिया आगें नही बढ़ पाई। शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के निर्देश पर इन जमीनों के आवंटन, दाखिल खारिज आदि के लिए विनियम बनाया गया था। उत्तराखंड सरकार ने आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण ने विनिमय का डॉफ्ट यूपी भेजा था लेकिन 1 साल हो जानें के बाद भी यूपी सराकार इस पर एक्सन नही लिया है।
जसपुर, देहरादून, काशीपुर, हरिद्वार, हल्द्वानी में उत्तर प्रदेश आवास विकास की करोड़ो की संपत्तियां है। इन परिसंपत्तियों की कीमत तकरीबन 2000 कोरड़ रूपये आकी गई है। साल 2000 में राज्य के निर्मण के बावजूद लगभग 19 साल बाद भी दोनों राज्यों के बीच समझौता नही हो पाया था। अब समझौते के बाद मामला लंबित है।
ये भी पढ़ें:- Today uttarakhand weather: कई दिनों से हो रही भारी बर्फबारी के बीच कैसा रहेगा आज के मौसम मिजाज, जानें