हादसे में मृत्यु होती है, क्या उनकी आत्मा को मिलती शांति, प्रेमानंद महाराज ने बताया

हिंदू धर्म में कई लोग कई ऋषि-मुनियों के विचारों से अपने जीवन का मार्गदर्शन करते हैं।

उनमें से एक हैं प्रेमानंद महाराज, प्रेमानंद जी वृन्दावन में रहते हैं और उनके उपदेश और सत्संग सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

अगर किसी की असमय या आकस्मिक मृत्यु हो जाए तो क्या उसकी आत्मा को शांति मिलती है?

आइए जानते हैं इस पर प्रेमानंद महाराज जी के विचार।

प्रेमानंद महाराज भक्त को उत्तर देने के लिए एक उदाहरण देते हैं कि बड़े-बड़े संतों की मृत्यु भी दुर्घटनाओं में होती है।

बक्सर के एक महान संत थे, वे कथा सुनाने जा रहे थे, उन्होंने सबसे पहले बरसाना में श्रीजी के दर्शन किये

उसके बाद उन्हें सामने से एक ट्रक ने टक्कर मार दी जिससे उनकी मृत्यु हो गयी।

अब इसका मतलब ये तो नहीं कि उसकी आत्मा परेशान है. महाराज जी कहते हैं कि 

जो पाप कर्म कर रहा है उसे शरीर छोड़ने के बाद वैसा ही फल मिलेगा।

वह आगे बताते है अकाल मृत्यु  हुई लेकिन उसका जीवन कैसे व्यतीत हुआ उसे परिणाम वैसे मिलेंगे.

चलो, उसे हर हाल में फल मिलेगा. यदि उसने अपना जीवन भजन में बिताया है तो उसे भगवान की प्राप्ति हो जाएगी। 

वहीं अगर समय गंदा बिताया तो गलत आचरण के कारण गलत परिणाम मिलेंगे।