एक-एक मुक्के की शर्त, क्या आपने सुनी है रावण और हनुमान जी की ये कथा
एक बार रावण और हनुमान जी में एक-एक मुक्के की शर्त लगी थी।
इस प्रसंग का उल्लेख तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस में मिलता है।
जब हनुमान जी ने ब्रह्मास्त्र का मान रखते हुए मेघनाद के साथ बंदी बनकर रावण की सभा में गए।
उस सभा में रावण और हनुमान जी में एक-एक मुक्के की शर्त लगी।
रावण ने पहले हनुमान जी को मुक्का मारने को कहा। लेकिन हनुमान जी ने मना कर दिया।
रावण ने कहा कि मैं क्यों मारू ? पहले आप मारो।
हनुमान जी बोले कि आप पहले मारो क्योंकि मेरा मुक्का खाने के बाद आप मारने के लायक ही नहीं रहोगे।
यह सुनकर रावण बहुत क्रोधित हुआ और हनुमान जी को पूरी शक्ति से एक बहुत ज़ोर का मुक्का मारा।
लेकिन हनुमान जी को कुछ नहीं हुआ और अब बारी थी हनुमान जी की।
फिर हनुमान जी ने रावण पर अपने मुक्का का परहार किया।
हनुमान जी का मुक्का पड़ने से वह मूर्छित हो गया।