पवनपुत्र महाबलि हनुमान जोकि हवा में भी उड़ सकते थे, क्योंकि उनमें वानर गुण था.

हनुमान जी जब हवा में छलांग लगाते थे तब उनकी स्पीड या गति कितनी होती थी.

रात 9 बजे से 12 बजे तक लक्ष्मण और मेघनाद के बीच युद्ध हुआ था. जब मेघनाद द्वारा लक्ष्मण जी को बाण लगा तो वे रात के करीब 12 बजे मूर्छित हो गए थे

इसके बाद हनुमान जी रावण के भाई विभीषण के कहने पर सुषेण वैद्य को करीब रात्रि 1:00 बजे लंका से लेकर आए थे.

करीब रात 1:30 बजे हनुमान जी औषधियां लाने निकल गए और ढाई हजार किलोमीटर दूर हिमालय के द्रोणगिरि पर्वत से औषधि लेकर आएं.

आधे घंटे उन्होंने औषधि ढूंढने में लगा दिया होगा, ऐसा अनुमान लगाया जाता है.

आधे घंटे का समय कालनेमि नामक राक्षस ने हनुमान जी भ्रमित करने में लगाया होगा और आधे घंटे का समय भरतजी द्वारा उनको नीचे गिराने में और वापस भेजने देने में लगा होगा

इसका मतलब है कि हनुमान जी को औषधि लाने के लिए आने-जाने में केवल 2 घंटे का समय मिला था.

हनुमान जी केवल दो घंटे में ही द्रोणगिरी पर्वत हिमालय पर जाकर वापस पांच हजार किलोमीटर की यात्रा करके आये थे

उनके हवा में उड़ने की गति ढाई हजार किलोमीटर प्रति घंटा रही होगी. वहीं वर्तमान में भारतीय वायु सेना का लड़ाकू विमान मिराज की गति 24 सौ किलोमीटर प्रति घंटा है.

इस तरह से ऐसा माना जा सकता है कि हनुमान जी वायुसेन के लड़ाकू विमान मिराज की गति से भी तेजी से उड़कर

कई अवरोधों को दूर करके सूर्योदय से पूर्व औषधि लेकर आ गए थे.