India News (इंडिया न्यूज़),Ghosi By-Election, Martand Singh Lucknow: घोसी उपचुनाव के नतीजे ने उत्तर प्रदेश को सियासी तपिश को बढ़ा दिया है। घोसी में समाजवादी पार्टी के सुधाकर सिंह की जीत हुई है। सुधाकर सिंह ने भाजपा के दारा सिंह चौहान को रिकॉर्ड 42,759 वोटों से शिकस्त दी है। नतीजे में हार तो बीजेपी प्रत्यसी की हुई है लेकिन इस चुनाव में कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। एक तरफ ये चुनाव एनडीए बनाम इंडिया था। वहीं दूसरी तरफ ओम प्रकाश राजभर ने भी इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना रखा था।
सपा विधायक का पद त्याग कर भाजपा से विधायक बनने की फिराक में लगे दारा सिंह चौहान वोटो की गिनती में एक भी राउंड में अपने प्रतिद्वंद्वी पर बढ़त नही बना पाए। लिहाज एक बड़े अंतर से उनको हार का सामना करना पड़ा। घोसी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह को कुल 1,24,427 वोट मिले हैं। वहीं बीजेपी के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को कुल 81,668 वोट मिले।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस जीत को जनता की जीत बताया है। अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि ये एक ऐसा अनोखा चुनाव है जिसमे जीते तो एक विधायक है पर हारे कई दलों के भावी मंत्री हैं. अखिलेश यादव का साफ इशारा दारा सिंह चौहान और ओम प्रकाश राजभर की तरफ ही है। बीजेपी ने उपचुनाव में एड़ी-चोटी का दम लगाया। मंत्रियों की फौज लगा रखी थी।
एनडीए के सहयोगी ओपी राजभर और संजय निषाद की भी ताबड़तोड़ रैलियां कराईं। ओम प्रकाश राजभर तो इस पूरे चुनाव प्रचार के दौरान समजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर बीजेपी से ज्यादा हमलावर दिखे। लेकिन फिर भी एनडीए अखिलेश के पीडीए के चक्रव्यूह को भेद नहीं पाई। सपा मुखिया ने इसे बीजेपी की राजनीतिक ही नहीं, नैतिक हार भी करार दिया है। घोसी उपचुनाव के नतीजे 2024 में योगी-बीजेपी के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं हैं।
घोसी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां कुल करीब 4.37 लाख वोटर हैं। अनुमानों के मुताबिक, यहां मुस्लिम वोटरों की तादाद करीब 90 हजार के आसपास हैं। दलित वोटर भी करीब 80 से 85 हजार के बीच हैं। अनुमान के मुताबिक, घोसी में सवर्ण मतदाता करीब 70 से 80 हजार के बीच हैं। इनमें भूमिहार 45000, राजपूत 16000 और ब्राह्मण 6 हजार के करीब हैं। पिछड़े समुदाय से ताल्लुक रखने वाले वोटरों की तादाद करीब 2 लाख है। अखिलेश यादव 2022 के यूपी चुनाव के बाद से सपा के पक्ष में नया सियासी, सामाजिक समीकरण गढ़ने की कोशिश में लगे हैं। उन्होंने ‘पीडीए’ यानी ‘पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों’ का फॉर्म्युला अपनाया है जो घोसी उपचुनाव में हिट साबित हुआ।
बीएसपी उपचुनाव लड़ नहीं रही थी लिहाजा उसके कोर वोटरों यानी दलित समुदाय को लुभाने के लिए एसपी और बीएसपी दोनों ने पूरा जोर लगाया। नतीजों से ऐसा लग रहा है कि एसपी को दलित वोटों को साधने में कामयाबी मिली है। 2022 के उपचुनाव में तीसरे नंबर पर रही बीएसपी घोसी उपचुनाव से दूर रही। उसकी गैरमौजूदगी में एसपी और बीजेपी ने दलित वोटों को साधने के लिए पूरा जोर लगा दिया। बीजेपी ने तो अपने एससी/एसटी मोर्चा की टीम को गांव-गांव में दलित वोटरों को लुभाने के मिशन पर लगा दिया। यूपी बीजेपी एससी-एसटी मोर्चा के अध्यक्ष राम चंद्र कन्नौजिया समेत तमाम नेताओं ने गांव-गांव, गली-गली जाकर दलितों को साधने की कोशिश की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी रैलियों में दलितों को साधने के लिए 1995 के कुख्यात ‘गेस्ट हाउस कांड’ की भी बार-बार याद दिलाई जब सपा कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में मायावती पर जानलेवा हमला किया था। प्रतिष्ठा की लड़ाई को जीतने के लिए बीजेपी ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। विधानसभा क्षेत्र में दर्जनों मंत्रियों ने कैंप किया हुआ था। इन्हें अपने-अपने समाज के वोटरों को साधने की जिम्मेदारी दी गई थी। इनमें स्वतंत्रदेव सिंह, विजय लक्ष्मी गौतम, दयाशंकर सिंह, एके शर्मा, नरेंद्र कश्यप, असीम अरुण, दानिश आजाद अंसारी जैसे मंत्री शामिल थे। इसके अलावा डेप्युटी चीफ मिनिस्टर केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी मोर्चा संभाले हुए थे।
नतीजे सामने आने के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने घोसी उपचुाव के रिजल्ट पर कहा की क्या विपक्ष अब ईवीएम, सरकारी मशीनरी और चुनाव आयोग पर सवाल उठाएगा? एक राजनीतिक दल के रूप में हम इस नतीजे की समीक्षा करेंगे और घोसी के लोगों की सेवा के लिए आगे की योजना बनाएंगे। इसके साथ ही यूपी बीजेपी प्रमुख भूपेंद्र चौधरी ने घोसी की जनता का भी धन्यवाद दिया। वहीं बीजेपी के सहयोगी दल सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने ने कहा घोसी की जनता ने जो फैसला किया है, हम उसका स्वागत करेंगे। हमसे जो गलती रह गई, उन कमियों को दूर करेंगे और लोकसभा चुनाव में पूरी मजबूती से उतरेंगे।