India News(इंडिया न्यूज), Lakhimpur Kheri : लखीमपुर खीरी में उपभोक्ता अदालत ने गलत इलाज के एक 15 साल पुराने मामले में लखनऊ मेडिकल कॉलेज में रेडियोथेरेपी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर सीमा गुप्ता पर 4.50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। वहीं धनराशि पर 7% वार्षिक दर से ब्याज भी देना होगा। साथ ही उनपर 50 हजार रुपये का अतिरिक्त अर्थदंड लगाया गया है।
बता दें कि अस्पताल रोड की रहने वाली रानी गुप्ता ने वर्ष 2008 में उपभोक्ता अदालत में एक केस दायर किया था। जिसमें बताया गया कि उन्हें छाती में गांठ महसूस होने पर आयुष नर्सिंग होम में इलाज करवाया। डॉक्टर की सलाह पर 28 सितंबर 2007 को लखनऊ के डॉ. चारू डायग्नोस्टिक सेंटर पर एफएनएसी (फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी) जांच कराई। जिसकी रिपोर्ट में उन्हें ट्यूमर बताया गया। इसके बाद उन्होंने वापस लखीमपुर में ही 15 नवंबर को नर्सिंग होम के डॉ. आनंद मिश्रा से अपना ऑपरेशन कराया।
नर्सिंग होम की तरफ से ऑपरेशन के बाद गिल्ट को परीक्षण के लिए डायग्नोस्टिक सेंटर भेजा गया। रिपोर्ट आने के बाद उन्हें आयुष नर्सिंग होम के डॉक्टर ने किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज जाने की सलाह दी। मेडिकल कालेज में पंजीकरण के बाद उन्हें रेडियोथेरेपी विभाग की प्रोफेसर सीमा गुप्ता के पास भेज दिया गया। आरोप है कि डॉ. सीमा गुप्ता ने कीमोथेरेपी करने की बात कही और मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा दिया गया।
वहीं मेडिकल कॉलेज में कीमोथेरेपी की गई। इसके बाद किसी डॉक्टर की सलाह पर वह मुंबई के एक डॉक्टर के पास भी चली गईं। वहां के मालेगांव स्थित प्रिंस एलाई खान अस्पताल में डॉक्टर एसए प्रधान से सलाह ली। स्लाइड और ब्लॉक का डॉ. मीना एस देसाई से परीक्षण किया। वहां जांच के बाद बताया गया कि उन्हें कैंसर नहीं है। अब तक उनका सही जांच किए बिना ही गलत इलाज किया जा रहा था।
पीड़िता ने बताया कि गलत इलाज और कीमोथेरेपी के कारण उनके बाल झड़ गए। आंखों की रोशनी और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो गई। जिससे कई अन्य समस्याएं भी झेलनी पड़ी। इसके बाद पीड़िता रानी गुप्ता ने क्षतिपूर्ति और अतिरिक्त मुकदमा दर्ज कराया था।
15 साल पुराने मामले में जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष शिव मणि शुक्ल, सदस्य जूही कुद्दूसी और डॉ. आलोक कुमार शर्मा ने साक्ष्य और पक्षकारों का तर्क सुनने के बाद केजीएमयू की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सीमा गुप्ता को आदेश दिया, कि वह रानी गुप्ता को क्षतिपूर्ति के रूप में 4.50 लाख रुपये दें। इस धनराशि पर वाद दायर करने की तारीख से अंतिम भुगतान तक 7% वार्षिक ब्याज भी लगेगा। साथ ही 50 हजार रुपये अतिरिक्त मुआवजा भी देना होगा।
वहीं आयुष नर्सिंग होम की तरफ से अदालत को बताया गया कि उनके पास पीड़िता गिल्ट के इलाज ले लिए आई थी। जिसका ऑपरेशन किया गया था। इसके बाद इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी।