India News(इंडिया न्यूज़), Lucknow News: उत्तर प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र में रहने वाले लोगों का रक्तचाप देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों की तुलना में अधिक है। वहीं नॉर्थ ईस्ट के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों का बीपी सबसे ज्यादा हेल्दी रहता है। केजीएमयू के नेतृत्व में देश के 22 राज्यों में किए गए अध्ययन में यह हकीकत सामने आई है। एसोसिएशन ऑफ हाइपरटेंशन ने एक साल तक देशभर में करीब 20 हजार लोगों पर यह अध्ययन किया। इसके तहत लोगों के शरीर से एक मशीन जोड़कर एक सप्ताह तक उनका बीपी रिकॉर्ड किया गया। इसमें घर, ऑफिस और क्लिनिक जाते समय भी बीपी मापा जाता था।
अध्ययन करने वाले केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नर सिंह वर्मा के मुताबिक, अध्ययन में यह भी देखा गया कि यूपी के लोगों में बीपी क्यों बढ़ा हुआ है। इसमें सामने आया कि नॉर्थ ईस्ट के लोग फिजिकल एक्टिविटी ज्यादा करते हैं। साथ ही उनका वातावरण भी शुद्ध होता है। इससे उनका बीपी कंट्रोल में रहता है। इसके विपरीत यूपी, पंजाब और महाराष्ट्र में रहने वाले लोगों की जीवनशैली बदतर है। इसके कारण लोगों में बीपी की समस्या देखी गई है।
हाइपरटेंशन में बीपी हाई हो जाता है। व्हाइट कोर्ट उच्च रक्तचाप सबसे आम है। इसमें घर पर तो बीपी सामान्य रहता है, लेकिन बाहर या डॉक्टर के पास जाने पर बीपी सामान्य नहीं होता है। वहीं, मास्क हाइपरटेंशन में इसका विपरीत होता है। माना जा रहा था कि ऐसे मरीज सिर्फ दो से चार फीसदी ही होते थे, लेकिन शोध से पता चला है कि 15 फीसदी लोग मास्क हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं। ऐसे लोगों का बीपी घर पर सामान्य पाया गया, जबकि क्लिनिक में यह सामान्य था। आमतौर पर लोग क्लीनिक में ही बीपी की जांच कराते हैं। इस कारण ऐसे मरीजों की विशेष निगरानी की जरूरत होती है. ऐसे लोगों को घर पर ही बीपी मापने की जरूरत है।
डॉ. नर सिंह वर्मा के मुताबिक, अध्ययन में यह भी देखा गया कि लोग बीपी के लिए कौन सी दवाएं लेते हैं। इसमें सामने आया कि तीन से चार दवाएं लेने वाले मरीजों में बीपी अधिक अनियंत्रित पाया गया। वहीं, जिन मरीजों ने बीपी की सिर्फ एक गोली ली, उनका बीपी नियंत्रित पाया गया। दरअसल, एक से अधिक दवा होने पर लोग अक्सर अधूरी दवाएं खा लेते हैं। वहीं, अगर एक गोली है तो दवा नियमित रूप से लें। इस आधार पर डॉक्टरों को बीपी के मरीजों को कम से कम दवाएं लिखने का सुझाव दिया जाएगा।
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